
Walking vs. Running : फिट और हेल्दी रहने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। कोई घंटों जिम में वर्कआउट करता है, कोई योग करता है, तो कोई वॉक या रनिंग का सहारा लेता है। लेकिन जब बात आती है सबसे आसान और असरदार एक्सरसाइज की, तो वॉक और रनिंग का नाम सबसे पहले आता है। दोनों ही आदतें आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
अब सवाल उठता है – आखिर कौन सी एक्सरसाइज ज़्यादा फायदेमंद है? वॉक या रनिंग? किससे तेजी से वजन कम होता है? और शुरुआत करने वालों के लिए कौन सा विकल्प ज्यादा सहज है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए चलिए एक-एक करके समझते हैं कि वॉक और रनिंग आपके शरीर पर क्या प्रभाव डालते हैं और कौन किसके लिए बेहतर है।
जोड़ों पर असर: कौन है ज़्यादा सॉफ्ट?
रनिंग में आपके घुटनों, एड़ियों और कूल्हों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है। जब आप तेज़ दौड़ते हैं, तो आपका शरीर हर कदम पर ज़मीन से टकराता है, जिससे जोड़ों में चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है, खासतौर पर अगर आपकी हड्डियाँ पहले से ही कमजोर हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रनिंग लंबे समय तक करने वालों में घुटनों की समस्याएं आम हैं।
इसके उलट, वॉकिंग एक लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज है। इसका मतलब है कि इसमें शरीर पर झटका कम लगता है और जोड़ों पर दबाव नहीं पड़ता। बुज़ुर्ग, जोड़ों की समस्या से पीड़ित लोग या वे जो रिकवरी फेज में हैं – उनके लिए वॉक करना एक सुरक्षित और कारगर तरीका हो सकता है।
हां, ये सही है कि रनिंग से तेजी से रिजल्ट दिखते हैं, लेकिन हर कोई दौड़ने के लिए तैयार नहीं होता। अगर आपकी उम्र ज्यादा है या आपको पहले से ही हड्डियों की समस्या है, तो बेहतर होगा कि आप वॉक को ही चुने। यह धीरे-धीरे आपके शरीर को एक्टिव बनाएगा और बिना जोड़ों को नुकसान पहुंचाए फिट बनाएगा।
दिल की सेहत: दौड़ या वॉक – क्या है दिल के लिए बेहतर?
वॉक और रनिंग दोनों ही कार्डियो एक्सरसाइज की कैटेगरी में आते हैं, यानी दोनों ही आपके दिल की सेहत को सुधारते हैं। लेकिन इन दोनों के प्रभाव की तीव्रता अलग होती है।
रनिंग एक हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज है। इसका मतलब ये है कि इससे दिल की धड़कन तेजी से बढ़ती है, जिससे हार्ट की पंपिंग क्षमता में सुधार होता है। यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है और आपके पूरे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है। जिन लोगों का लक्ष्य जल्दी फिट होना है, उनके लिए दौड़ना एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।
दूसरी तरफ, वॉकिंग का असर थोड़ा धीमा लेकिन स्थायी होता है। यह दिल की सेहत पर धीरे-धीरे सकारात्मक असर डालता है और लॉन्ग टर्म में हार्ट हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है। जो लोग रोजाना 30 मिनट की वॉक करते हैं, उनमें हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
अगर आप हार्ट की दिक्कतों से जूझ रहे हैं या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट से गुजर रहे हैं, तो वॉक से शुरुआत करना ज्यादा सुरक्षित होगा। फिर धीरे-धीरे अगर शरीर साथ दे, तो रनिंग की ओर बढ़ा जा सकता है।
मांसपेशियों की ताकत: कौन बनाता है ज्यादा मजबूत?
जब बात आती है मांसपेशियों को मजबूत करने की, तो दोनों ही एक्सरसाइज अपना रोल निभाते हैं – लेकिन अलग तरीके से। वॉक करने से आपकी टांगों, खासतौर पर जांघों और पिंडलियों की मसल्स एक्टिव रहती हैं। इसके साथ-साथ अगर आप हाथों को भी सही तरह से घुमाते हैं, तो बाजुओं की भी थोड़ी कसरत हो जाती है।
रनिंग में मसल्स पर और भी ज्यादा असर पड़ता है। यह आपके पैरों, जांघों, कूल्हों और कोर मसल्स को ज्यादा काम में लेता है। साथ ही स्टेमिना और सहनशक्ति भी तेजी से बढ़ती है। रनिंग के दौरान शरीर को खुद को बैलेंस करना होता है, जिससे मांसपेशियों में ताकत के साथ-साथ लचीलापन भी आता है।
अगर आप मसल्स की डेफिनेशन, ताकत और स्टेमिना को सुधारना चाहते हैं, तो रनिंग आपको ज्यादा फायदा पहुंचाएगी। लेकिन अगर मांसपेशियों की हल्की एक्सरसाइज और मूवमेंट ही आपकी प्राथमिकता है, तो वॉकिंग भी काफी है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: दिमाग को क्या पसंद है?
वॉक और रनिंग दोनों ही आपके दिमाग पर गहरा असर डालते हैं, लेकिन इनके तरीके अलग हैं। जब आप वॉक करते हैं, खासतौर पर अगर आप नेचर में, खुले वातावरण में चल रहे हों, तो यह आपके मूड को बेहतर बनाता है। तनाव कम होता है, विचारों में स्पष्टता आती है, और मानसिक थकान दूर होती है।
रनिंग थोड़ा और तेज असर करता है। जब आप दौड़ते हैं, तो शरीर में एंडोर्फिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है, जिसे अक्सर “हैप्पी हार्मोन” कहा जाता है। यह तनाव और चिंता को कम करता है और आपको एक तरह की मानसिक संतुष्टि देता है जिसे "रनर्स हाई" भी कहा जाता है।
हालांकि, हर कोई रनिंग को एन्जॉय नहीं कर पाता। कुछ लोगों को दौड़ना बहुत कठिन या थकाने वाला लगता है। ऐसे में वॉक करना ज्यादा सहज और प्रभावी तरीका हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो डिप्रेशन, एंग्जायटी या स्ट्रेस से जूझ रहे हैं – उनके लिए वॉक थेरेपी जैसा काम कर सकती है।
वजन घटाने के लिए कौन ज़्यादा असरदार है?
वजन घटाने के मामले में दौड़ना थोड़ा आगे निकल जाता है। इसका सीधा कारण है कि रनिंग करते समय कैलोरी बर्निंग रेट ज्यादा होता है। अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज़ के मुताबिक, अगर आपका वजन लगभग 70 किलो है, तो आप रनिंग करते समय एक किलोमीटर में करीब 74 कैलोरी बर्न करते हैं। वहीं, वॉकिंग से उतनी ही दूरी में लगभग 56 कैलोरी बर्न होती है।
यानि अगर आपका लक्ष्य तेजी से वजन कम करना है, तो रनिंग आपकी मदद कर सकती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वॉकिंग बेकार है। नियमित वॉक, खासतौर पर डाइट कंट्रोल के साथ, धीरे-धीरे वजन घटाने में कारगर होती है और लॉन्ग टर्म में इसे बनाए रखने में भी मदद करती है।
वेट लॉस का असली फॉर्मूला है – कंसिस्टेंसी। चाहे आप वॉक करें या रनिंग, अगर आप उसे रेगुलर बनाए रखते हैं और साथ ही खाने-पीने का ध्यान रखते हैं, तो वजन जरूर कम होगा।
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