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येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में बताया है कि जीवन की शुरुआत में वायु प्रदूषण और रात की कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आने से बच्चों और किशोरों में थायरॉइड कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। यह शोध 'एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स' जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसके निष्कर्ष चिंताजनक हैं, खासकर शहरी वातावरण में रहने वाले परिवारों के लिए।

शोध का निष्कर्ष और प्रमुख बिंदु

शोध में 736 बच्चों और किशोरों का डेटा लिया गया, जिन्हें 20 साल की उम्र से पहले पैपिलरी थायरॉइड कैंसर हुआ था।

इनकी तुलना 36,800 स्वस्थ बच्चों से की गई।

पेरिनेटल अवस्था (गर्भावस्था से लेकर जन्म के एक साल तक) में प्रदूषण और रात की रोशनी का संपर्क विशेष रूप से खतरनाक पाया गया।

पीएम2.5 के स्तर में 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर की बढ़त से कैंसर का खतरा 7% तक बढ़ गया।

रात में ज्यादा रोशनी वाले इलाकों में जन्म लेने वाले बच्चों में थायरॉइड कैंसर का खतरा 23–25% तक ज्यादा पाया गया।

प्रमुख कारण और प्रभाव

हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5) सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और दीर्घकालिक रूप से स्वास्थ्य पर असर डालते हैं।

रात की कृत्रिम रोशनी (Outdoor Artificial Light at Night - O-ALAN) शरीर की जैविक घड़ी को प्रभावित करती है, जिससे हार्मोन असंतुलन और कोशिकीय गतिविधियों में बदलाव आता है।

यह असर खासकर हिस्पैनिक बच्चों और 15–19 साल के किशोरों में अधिक देखा गया।

विशेषज्ञ की राय

येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की डॉ. निकोल डेजील ने कहा, “बच्चों में थायरॉइड कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह चिंता की बात है कि ऐसी आम चीजें—जैसे प्रदूषण और रात की रोशनी—इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि निष्कर्षों की पुष्टि के लिए अधिक रिसर्च की जरूरत है।


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