img

Kaun Sa Oil Khana Chaiye : आज के समय में हमारी जीवनशैली और खानपान का तरीका इतना बदल चुका है कि इससे सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है। चाहे लोग घर का बना खाना ही क्यों न खाएं, फिर भी कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारा शरीर सीधे तौर पर हमारी डाइट से जुड़ा होता है। मोटापा एक आम समस्या बन चुका है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता है और दिल की सेहत पर असर डालता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम अपने खाने के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दें कि खाना किस तेल में बन रहा है।

एक ही कुकिंग ऑयल सालों तक इस्तेमाल करना सही नहीं

अधिकतर घरों में एक बार जिस कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल शुरू हो जाता है, लोग सालों-साल उसी का उपयोग करते रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लगातार एक ही तरह का तेल इस्तेमाल करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है?

किस तेल का करें इस्तेमाल?

सफेद मक्खन (व्हाइट बटर) पीले मक्खन (येलो बटर) से बेहतर होता है, क्योंकि येलो बटर प्रोसेस्ड होता है। वहीं उन्होंने वन्स्पति घी या डालडा को बेहद हानिकारक बताया है।

उनका कहना है कि लिक्विड फैट, सॉलिड फैट की तुलना में ज्यादा बेहतर होता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जो लोग मेडिटेरेनियन डाइट अपनाते हैं, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बेहद कम पाया गया है। इसकी एक बड़ी वजह है ऑलिव ऑयल का सेवन। इससे यह सोच बन गई है कि ऑलिव ऑयल सबसे बेहतर तेल है।

ऑलिव ऑयल, सरसों का तेल, राइस ब्रान ऑयल – कौन है सबसे बेहतर?

ऑलिव ऑयल, सनफ्लावर ऑयल, राइस ब्रान ऑयल और सरसों का तेल सभी का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ऑलिव ऑयल महंगा होता है, जिससे बजट पर असर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि हम कोई एक तेल लगातार न इस्तेमाल करें।

तेल को समय-समय पर बदलना क्यों जरूरी है?

चाहे आप जो भी तेल इस्तेमाल कर रहे हों, उसे हर 6 महीने में बदल दें। इसका कारण यह है कि हर तेल में कुछ न कुछ खामियां होती हैं। अगर आप एक ही तेल लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं, तो वह आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन अगर आप समय-समय पर तेल बदलते रहते हैं, तो एक तेल की कमी दूसरे तेल की खूबियों से पूरी हो जाती है।

क्षेत्रीय प्रभाव: क्यों कश्मीर और बंगाल में हार्ट की बीमारियां ज्यादा हैं?

भारत में कश्मीर और बंगाल जैसे इलाकों में हार्ट से जुड़ी बीमारियों के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि इन क्षेत्रों में सरसों के तेल का अत्यधिक उपयोग होता है। इसलिए, यदि आप समय-समय पर तेल में बदलाव करते हैं, तो इससे आपको दिल की बीमारियों से काफी हद तक बचाव मिल सकता है।


Read More:
खाना खाने के तुरंत बाद न करें ये 5 गलतियां, बिगड़ सकती है सेहत, एक्सपर्ट ने दी चेतावनी