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आजकल शरीर को डिटॉक्स करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि लोगों की खान-पान की आदतें और जीवनशैली संतुलित नहीं होती। हेल्थ कॉन्शियस लोग अक्सर बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए जूस क्लींजिंग (Juice Cleansing) का सहारा लेते हैं। यह एक प्रकार की डिटॉक्स डाइट है, जिसमें कुछ दिनों तक केवल फलों और सब्जियों के जूस का सेवन किया जाता है और ठोस भोजन से परहेज किया जाता है। माना जाता है कि यह डाइट शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने, वजन घटाने और पाचन तंत्र को आराम देने में मददगार होती है।

हालांकि, हाल ही में प्रकाशित एक नई रिसर्च में यह सामने आया है कि जूस क्लींजिंग डाइट आंतों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। लंबे समय तक केवल जूस का सेवन करने से आंतों में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ सकती है, जिससे पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि जूस का अधिक सेवन करने से आंतों की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और क्या इसे नियमित आहार का हिस्सा बनाना सही होगा?

क्या जूस क्लींजिंग सेहत के लिए सही है?

जूस क्लींजिंग को हेल्दी माना जाता है, क्योंकि यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद कर सकता है। लेकिन अगर इसे लंबे समय तक अपनाया जाए, तो यह आंतों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।

 फायदे:

शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करता है।

वजन घटाने में सहायक हो सकता है।

त्वचा की सेहत में सुधार ला सकता है।

 नुकसान:

लंबे समय तक जूस पीने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते।

आंतों में सूजन और बैक्टीरिया असंतुलन हो सकता है।

फाइबर की कमी के कारण पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है।

लंबे समय तक जूस पीने से आंतों पर क्या असर पड़ता है?

न्यूट्रिएंट्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति तीन दिनों से ज्यादा समय तक केवल जूस का सेवन करता है, तो उसकी आंतों में सूजन पैदा करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है।

 इससे क्या हो सकता है?
आंतों की कार्यक्षमता कमजोर हो सकती है।
पाचन संबंधी समस्याएं जैसे गैस, अपच और कब्ज हो सकता है।
 लीकी गट सिंड्रोम (Leaky Gut Syndrome) होने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे हानिकारक तत्व रक्त प्रवाह में जा सकते हैं।

जूस का सेवन आंतों को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है?

बहुत से लोग जूस को हेल्दी विकल्प मानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे आपकी गट हेल्थ प्रभावित हो सकती है?

फाइबर की कमी से पाचन तंत्र कमजोर होता है

फल और सब्जियों को जूस में बदलने से उनमें मौजूद फाइबर नष्ट हो जाता है। फाइबर आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पाचन तंत्र सही तरीके से काम करता है। अगर शरीर को पर्याप्त फाइबर नहीं मिलता, तो आंतों में बैक्टीरिया असंतुलन हो सकता है।

फ्रुक्टोज की अधिक मात्रा से सूजन हो सकती है

जूस में प्राकृतिक शुगर फ्रुक्टोज (Fructose) पाया जाता है। जब शरीर में फ्रुक्टोज की अधिक मात्रा पहुंचती है, तो यह हानिकारक बैक्टीरिया और यीस्ट को बढ़ा सकता है, जिससे आंतों में सूजन और गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं।

ब्लड शुगर लेवल पर असर पड़ता है

जूस में अधिक मात्रा में शुगर होने से ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है, जिससे इंसुलिन स्पाइक्स होने लगते हैं। इससे डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

गट माइक्रोबायोम पर नकारात्मक प्रभाव

अगर लंबे समय तक केवल जूस पिया जाए, तो गट माइक्रोबायोम का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे आंतों में सूजन और संक्रमण की समस्या हो सकती है।

क्या हमें जूस क्लींजिंग से परहेज करना चाहिए?

अगर जूस क्लींजिंग को कुछ दिनों के लिए किया जाए, तो यह शरीर को हल्का महसूस करवाने में मदद कर सकता है।
लेकिन इसे एकमात्र आहार के रूप में अपनाना सही नहीं है।
संतुलित आहार जिसमें प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट्स और विटामिन शामिल हों, आंतों की सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है।
हमेशा ध्यान रखें कि विविध और संतुलित आहार ही सबसे अच्छा विकल्प होता है।

क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:
 जूस के साथ फाइबर युक्त आहार लें।
 केवल जूस पर निर्भर रहने के बजाय संतुलित भोजन करें।
आंतों की सेहत के लिए प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स का सेवन करें।

 क्या न करें:
तीन दिनों से अधिक समय तक सिर्फ जूस पर न रहें।
अधिक मात्रा में मीठे फलों के जूस का सेवन न करें।
अगर पहले से ही पेट की समस्याएं हैं, तो जूस क्लींजिंग से बचें।