img

अगर आप प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाते हैं या इन्हें स्टोरेज के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो सतर्क हो जाइए। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक के कंटेनरों में रखा भोजन आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) का खतरा बढ़ा सकता है।

ScienceDirect.com में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक केमिकल्स आंत में बदलाव पैदा कर सकते हैं, जिससे सूजन और संचार प्रणाली (Circulatory System) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही नहीं, कई अन्य शोधों में यह भी पाया गया है कि प्लास्टिक के कंटेनर से निकलने वाले टॉक्सिन्स हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट फेलियर जैसी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

कैसे प्लास्टिक हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है?

1. हार्मोनल असंतुलन और ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा

प्लास्टिक के कंटेनरों से भोजन में माइक्रोप्लास्टिक मिल जाता है, जो हमारी आंतों में पहुंचकर धीरे-धीरे शरीर में जमा होता है। प्लास्टिक में मौजूद BPA (Bisphenol A) और Phthalates जैसे हानिकारक रसायन शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।

  • यह केमिकल्स एस्ट्रोजन (Estrogen) जैसे हार्मोन्स की नकल करते हैं, जिससे एंडोक्राइन सिस्टम प्रभावित होता है।
  • हार्मोनल असंतुलन के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी असंतुलित कर सकता है, जो दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है।

2. गर्म खाने से निकलते हैं जहरीले तत्व

अगर आप प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाना, चाय या कॉफी रखते हैं, तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है।

  • गर्मी के संपर्क में आते ही प्लास्टिक से बिसफेनॉल-ए (BPA) और फ्थेलेट्स जैसे हानिकारक रसायन भोजन में घुल जाते हैं।
  • यह रसायन रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे हार्ट को पंप करने में परेशानी होती है।
  • लंबे समय तक ऐसा करने से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

3. किडनी और लिवर पर असर

प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिक केमिकल्स सिर्फ दिल को ही नहीं, बल्कि किडनी और लिवर को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

  • जब लिवर सही से टॉक्सिन्स को फिल्टर नहीं कर पाता, तो रक्त संचार प्रभावित होता है।
  • इससे हार्ट पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे दिल और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
  • किडनी की कार्यप्रणाली कमजोर होने से रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं, जो उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों का कारण बन सकता है।

क्या कहता है वैज्ञानिक अध्ययन?

इस विषय पर एक विस्तृत अध्ययन किया गया, जिसमें चीन में 3,000 से अधिक लोगों की खानपान की आदतों और उनकी हृदय स्थिति की जांच की गई।

  • जिन लोगों ने प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाने की आदत बना ली थी, उनमें हार्ट अटैक का जोखिम अधिक पाया गया।
  • अध्ययन के दूसरे भाग में चूहों पर प्रयोग किया गया, जिसमें उन्हें प्लास्टिक में रखे गर्म पानी में घुले रसायनों के संपर्क में लाया गया।
  • नतीजों में पाया गया कि ये रसायन चूहों की आंतों में सूजन, ब्लड प्रेशर में वृद्धि और हृदय संबंधी समस्याएं पैदा कर रहे थे।

कैसे करें बचाव?

अगर आप प्लास्टिक के उपयोग को लेकर सतर्क नहीं हैं, तो अब समय आ गया है कि आप सेहतमंद विकल्पों को अपनाएं।

स्टील, कांच या मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करें।
प्लास्टिक कंटेनर में गर्म भोजन न रखें – हमेशा स्टील या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें।
BPA-फ्री और खाद्य-ग्रेड प्लास्टिक का ही चयन करें।
प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टेनलेस स्टील या तांबे की बोतलें इस्तेमाल करें।
जितना हो सके प्लास्टिक पैक्ड फूड से बचें, क्योंकि यह भी माइक्रोप्लास्टिक से दूषित हो सकता है।