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Garlic And Onion Side Effects : लहसुन और प्याज भारतीय रसोई के मुख्य अंग हैं। इनके बिना खाने का स्वाद अधूरा लगता है। ये न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद माने जाते हैं। इनमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, "अति सर्वत्र वर्जयेत" – किसी भी चीज की अधिकता नुकसानदेह हो सकती है। यही बात लहसुन और प्याज पर भी लागू होती है। इनका अत्यधिक सेवन कई शारीरिक परेशानियों का कारण बन सकता है।

अत्यधिक लहसुन और प्याज सेवन के नुकसान

1. पाचन में गड़बड़ी की संभावना

लहसुन और प्याज में सल्फर कंपाउंड्स होते हैं जो सामान्य मात्रा में शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। मगर जब इनका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाता है, तो ये पाचन क्रिया को बिगाड़ सकते हैं। पेट में गैस बनना, अपच, मरोड़, एसिडिटी और भारीपन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। कई लोगों को इससे दस्त या पेट फूलने की शिकायत भी हो सकती है। यदि आपको पहले से पाचन संबंधी दिक्कतें हैं, तो इनका सेवन सावधानी से करें।

2. मुंह की दुर्गंध और सामाजिक असहजता

लहसुन और प्याज में तीव्र गंध देने वाले यौगिक मौजूद होते हैं, जो खाने के बाद मुंह में लंबे समय तक दुर्गंध बनाए रखते हैं। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब इनका ज्यादा सेवन किया जाए। यह सामाजिक स्तर पर असहजता पैदा कर सकता है, खासकर ऑफिस या सार्वजनिक स्थानों पर। ब्रश करने या माउथवॉश इस्तेमाल करने के बाद भी यह गंध कई घंटों तक बनी रह सकती है।

3. त्वचा पर असर और एलर्जी की आशंका

कुछ लोगों में अत्यधिक लहसुन के सेवन से त्वचा पर रिएक्शन हो सकता है। इससे एलर्जी, रैशेज, खुजली और जलन की शिकायत हो सकती है। यह शरीर का तापमान भी बढ़ा सकता है, जिससे पसीने की बदबू अधिक तीव्र हो जाती है। गर्मियों में इसका असर और ज्यादा देखा जाता है। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो लहसुन और प्याज का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।

4. ब्लड थिनिंग और ब्लीडिंग का खतरा

लहसुन में प्राकृतिक ब्लड थिनिंग गुण होते हैं। अगर आप लहसुन का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं, तो यह आपके शरीर में खून के जमाव को प्रभावित कर सकता है। इससे मामूली चोट या कट लगने पर भी अधिक खून बहने का खतरा रहता है। सर्जरी से पहले या एंटीकोआगुलेंट दवाएं लेने वालों को विशेष रूप से लहसुन के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी इसका सेवन बढ़ाना ठीक नहीं।

5. सिरदर्द और माइग्रेन को ट्रिगर करना

लहसुन में पाया जाने वाला एक विशेष यौगिक – एलिल मिथाइल सल्फाइड – माइग्रेन और सिरदर्द को ट्रिगर कर सकता है। कई माइग्रेन पेशेंट्स को यह अनुभव होता है कि लहसुन खाने के कुछ घंटों के भीतर ही सिरदर्द शुरू हो जाता है। इसके साथ ही मानसिक बेचैनी, तनाव और नींद न आने की समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आप माइग्रेन से पीड़ित हैं, तो अपने आहार में लहसुन की मात्रा नियंत्रित रखें।

संतुलित मात्रा में सेवन क्यों जरूरी है?

हर चीज की एक सीमित मात्रा होती है जो शरीर के लिए लाभदायक होती है। लहसुन और प्याज भी इस नियम से अलग नहीं हैं। इनका सीमित मात्रा में सेवन शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है – पाचन को सुधारता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और संक्रमण से बचाता है। लेकिन जैसे ही मात्रा हद से ज्यादा होती है, यही फायदेमंद चीजें नुकसानदेह बन जाती हैं।

लहसुन और प्याज का सही तरीके से सेवन कैसे करें?

रोजाना 1-2 कली लहसुन और 1 मध्यम आकार का प्याज पर्याप्त होता है।

कच्चे की बजाय इन्हें पकाकर खाना ज्यादा बेहतर होता है। पकाने से इनके तीखे यौगिक कम हो जाते हैं।

यदि कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या है, जैसे ब्लड प्रेशर या सर्जरी से संबंधित मामला, तो डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह जरूर लें।


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