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Identifying The Cancer Lump : कैंसर… ये शब्द सुनते ही दिल की धड़कन तेज हो जाती है, चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है और एक अनजाना डर मन में घर कर जाता है। ये बीमारी न उम्र देखती है, न लिंग और न ही हालात। किसी को भी कभी भी हो सकती है। लेकिन क्या हम इसके बारे में सही और सटीक जानकारी रखते हैं? शायद नहीं।

इस लेख में हम बात करेंगे कैंसर की गांठ यानी Cancer Lump के बारे में—कैसे इसकी पहचान की जा सकती है, यह कितनी बड़ी हो सकती है, कहां-कहां होती है, फूटने पर क्या होता है और इसकी जांच कैसे कराई जाती है।

कैंसर की गांठ कितनी बड़ी हो सकती है?

कैंसर की गांठ शुरू में बहुत छोटी हो सकती है—महज कुछ मिलीमीटर की। शुरुआत में इसका अहसास भी नहीं होता। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह गांठ 1 से 2 सेंटीमीटर या उससे भी बड़ी हो सकती है।

  • आम तौर पर शुरुआत में ये गांठ त्वचा के नीचे हल्की सी सख्त गांठ के रूप में महसूस होती है।
  • अगर ये गांठ बढ़ती जाए और 2 सेमी से अधिक हो जाए, तो यह चिंताजनक हो सकता है।
  • आकार में तेजी से वृद्धि इस बात का संकेत हो सकती है कि शरीर में कुछ गंभीर चल रहा है।

शरीर में अगर कोई नई गांठ बनती है या पुरानी गांठ आकार में बदलती है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। कई बार ये गांठ अंदरूनी अंगों में होती है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन लक्षणों से उसका पता चल सकता है।

कैंसर की गांठ की पहचान कैसे करें?

हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन कुछ विशेष लक्षण ऐसे होते हैं जो इस ओर संकेत कर सकते हैं कि मामला गंभीर हो सकता है।

1. गांठ का असामान्य होना

अगर कोई गांठ बिना वजह शरीर में उभर रही है और समय के साथ बढ़ रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। विशेषकर अगर गांठ दर्द रहित हो और लगातार आकार में बढ़ रही हो।

2. सख्त और स्थिर गांठ

कैंसर की गांठ अक्सर हार्ड होती है और स्किन के नीचे स्थिर रहती है। जबकि अन्य सामान्य गांठें नर्म और हिलने-डुलने वाली होती हैं।

3. त्वचा में बदलाव

गांठ के ऊपर की त्वचा में रंगत या बनावट में बदलाव होना—जैसे लालिमा, सूजन, खुरदुरापन या अल्सर बनना—कैंसर के संकेत हो सकते हैं।

4. दर्द और असहजता

हालांकि शुरुआती कैंसर गांठ में दर्द नहीं होता, लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे वह आसपास के टिश्यू पर दबाव डालती है, दर्द या झनझनाहट की समस्या हो सकती है।

5. थकान और वजन में गिरावट

गांठ के साथ यदि अचानक वजन गिर रहा हो, बुखार बना रहता हो, या थकान महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है।

कैंसर की गांठ फूटने पर क्या होता है?

अगर किसी कैंसर गांठ का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह फूट सकती है—और यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है।

  • फूटने से इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है, जिससे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

मेटास्टेसिस की संभावना बढ़ जाती है, यानी कैंसर सेल्स शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं—जैसे लिवर, फेफड़े या हड्डियों में।

  • इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि फटी हुई गांठ से बैक्टीरिया अंदर जा सकते हैं।

इसलिए यदि किसी को गांठ में असामान्य दर्द, सूजन या उससे पस/खून निकलता महसूस हो, तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।

कैंसर की गांठ शरीर में कहां-कहां हो सकती है?

कैंसर की गांठ शरीर में कहीं भी हो सकती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जहां ये सबसे ज्यादा पाई जाती है:

1. ब्रेस्ट (Breast)

महिलाओं में सबसे आम कैंसर है ब्रेस्ट कैंसर। इसमें गांठ के साथ-साथ ब्रेस्ट का आकार बदलना, त्वचा का सिकुड़ना या निप्पल से डिस्चार्ज आना आम लक्षण हैं।

2. गर्दन (Neck)

यहां लिम्फ नोड्स या थायरॉइड में गांठें बन सकती हैं। गर्दन की गांठें विशेष रूप से सतर्कता की मांग करती हैं क्योंकि ये थायरॉइड, लार ग्रंथि या लिम्फोमा से संबंधित हो सकती हैं।

3. पेट और आंतें (Stomach & Intestines)

पेट के अंदर बनने वाली गांठें अक्सर देर से पकड़ में आती हैं। कब्ज, गैस, भूख में कमी या वजन गिरना इसके संकेत हो सकते हैं।

4. स्किन (Skin)

त्वचा पर काले या असामान्य तिल, गांठ या घाव जो भरते नहीं हैं, वे स्किन कैंसर का लक्षण हो सकते हैं।

5. फेफड़े (Lungs)

फेफड़ों की गांठ का पता अक्सर CT स्कैन से चलता है। लगातार खांसी, खून आना, या सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं।

कैंसर की जांच कैसे होती है?

अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की संदिग्ध गांठ महसूस करता है, तो देरी न करते हुए डॉक्टर से मिलना जरूरी है। इसके लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:

1. बायोप्सी (Biopsy)

कैंसर की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी सबसे भरोसेमंद तरीका है। इसमें गांठ से टिश्यू सैंपल लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जाती है।

2. इमेजिंग टेस्ट्स

जैसे- MRI, CT स्कैन, PET स्कैन और अल्ट्रासाउंड। ये स्कैन यह दिखाते हैं कि गांठ अंदर कितनी फैली है।

3. ब्लड टेस्ट

कुछ कैंसर के मार्कर ब्लड टेस्ट से भी पता चल सकते हैं—जैसे CA-125 (ओवरी कैंसर के लिए) या PSA (प्रोस्टेट कैंसर के लिए)।

4. FNAC (Fine Needle Aspiration Cytology)

यह भी एक सुरक्षित तरीका है जिससे सुई के ज़रिए गांठ से सैंपल निकाला जाता है।

5. नियमित स्वास्थ्य जांच

समय-समय पर चेकअप और स्क्रीनिंग से कई बार कैंसर की गांठों को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ना संभव होता है।


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