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ट्रेडिशनल स्पुटम टेस्ट के सीमित परिणामों से आगे बढ़ते हुए, एक नई वैज्ञानिक खोज ने टीबी की पहचान के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत दिया है। शुक्रवार को प्रकाशित एक नई स्टडी के अनुसार, अब मॉलिक्यूलर स्टूल टेस्ट की मदद से एचआईवी से ग्रसित मरीजों में टीबी की पहचान करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो सकता है।

नई स्टडी से मिला इलाज का नया रास्ता

‘द लैंसेट माइक्रोब’ में प्रकाशित इस रिसर्च ने बताया कि अब तक बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाली मॉलिक्यूलर टेस्टिंग तकनीक (एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ अल्ट्रा) को वयस्क एचआईवी मरीजों पर भी स्टूल सैंपल के जरिए लागू किया जा सकता है। यह टेस्ट अब अतिरिक्त विकल्प के रूप में उन मरीजों की जांच में मदद कर सकता है जिनमें टीबी की पहचान पारंपरिक तरीकों से मुश्किल हो रही है।

टीबी डायग्नोसिस में उम्मीद की नई किरण

इस शोध को बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (ISGlobal), स्पेन की अगुवाई में अंजाम दिया गया। अध्ययन के प्रमुख लेखक जॉर्ज विलियम कासुले के अनुसार, “एचआईवी संक्रमित लोगों में टीबी विकसित होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन पारंपरिक परीक्षणों की कम सेंसिटिविटी के कारण इनका डायग्नोस करना बहुत कठिन हो जाता है।”

टीबी से हर साल लाखों मौतें

टीबी, यानी तपेदिक, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है और यह बीमारी 2023 में लगभग 12.5 लाख लोगों की मौत का कारण बनी। हैरानी की बात यह है कि इन मौतों में 13 प्रतिशत मामले एचआईवी संक्रमित मरीजों के थे।

वर्तमान टेस्ट की सीमाएं

अभी टीबी का डायग्नोस स्पुटम (थूक या लार) के सैम्पल से होता है, जिसमें फेफड़ों की बलगम से टीबी के बैक्टीरिया को खोजा जाता है। लेकिन एचआईवी मरीजों में अक्सर पर्याप्त मात्रा में स्पुटम नहीं बनता और कई गंभीर मरीज इसके लिए सक्षम नहीं होते। इसके अलावा, थूक में बैक्टीरिया की मात्रा भी इतनी कम होती है कि टेस्ट में उसका पता नहीं चल पाता।

मॉलिक्यूलर स्टूल टेस्ट क्यों है खास?

नई रिसर्च के अनुसार, स्टूल टेस्ट एक वैकल्पिक और उपयोगी तरीका हो सकता है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान बन सकती है, जिनके रेस्पिरेटरी टेस्ट ने नेगेटिव परिणाम दिए हैं, लेकिन उनमें टीबी की संभावनाएं बनी रहती हैं।

अध्ययन कैसे किया गया?

दिसंबर 2021 से अगस्त 2024 तक, इस्वातिनी, मोजाम्बिक और युगांडा के विभिन्न मेडिकल सेंटर्स में एचआईवी और टीबी के लक्षणों वाले 15 वर्ष से ऊपर के 677 मरीजों को इस स्टडी के लिए शामिल किया गया। इन मरीजों से थूक, मूत्र, मल और रक्त के नमूने लिए गए। नतीजों में स्टूल टेस्ट ने 23.7% की सेंसिटिविटी और 94.0% की विशिष्टता दिखाई।

स्टूल अल्ट्रा टेस्ट की ताकत

आईएसग्लोबल के शोधकर्ता और बार्सिलोना के हॉस्पिटल क्लिनिक डी बार्सिलोना में वैक्सीन और इम्यून रिएक्शन यूनिट के प्रमुख अल्बर्टो एल. गार्सिया-बस्टेरो का कहना है, “यह टेस्ट विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है जो एड्स से ग्रसित हैं।” स्टूल अल्ट्रा टेस्ट ने कई ऐसे मामलों की पुष्टि की जिन्हें टीबी-एलएएम, स्पुटम अल्ट्रा या बैक्टीरियल कल्चर द्वारा नहीं पकड़ा जा सका।


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