
वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 08:31 बजे तक रहेगी।
पूजा के प्रमुख मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:03 से 04:44 बजे तक
अमृत मुहूर्त: सुबह 05:25 से 07:08 बजे तक
शुभ मुहूर्त: सुबह 08:52 से 10:35 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:51 से 12:46 बजे तक
लाभ मुहूर्त: दोपहर 03:45 से शाम 05:28 बजे तक
इस दिन शोभन योग और भरणी नक्षत्र का प्रभाव व्रत को और भी शुभ बनाता है।
व्रत का महत्व और धार्मिक कथा
यह व्रत देवी सावित्री की दृढ़ संकल्प शक्ति और पतिव्रता धर्म को समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाकर उन्हें जीवनदान दिया था। इस कारण वट सावित्री व्रत को पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।
वट वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है?
हिंदू धर्म में वट वृक्ष को अत्यंत पवित्र माना गया है क्योंकि इसमें त्रिदेवों का वास होता है:
ब्रह्मा जड़ों में
विष्णु तने में
शिव शाखाओं में
व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करके महिलाएं मंगलसूत्र, धागा, रोली, चावल, फल, जल आदि अर्पित करती हैं और परिक्रमा करती हैं। यह पूजा मनोकामना पूर्ति और पति की सुरक्षा के लिए की जाती है।
व्रत कौन-कौन कर सकता है?
यह व्रत सिर्फ सुहागन महिलाएं ही नहीं बल्कि विधवा, वृद्धा, बालिका, सपुत्रा और अपुत्रा महिलाएं भी श्रद्धा से रख सकती हैं। यह व्रत स्त्री शक्ति और संकल्प का प्रतीक है।
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