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मनोज कुमार, जिन्हें 'भारत' के नाम से जाना जाता है, 1995 में रिलीज़ हुई फिल्म मैदान-ए-जंग के बाद बड़े पर्दे से दूर हो गए थे। हालांकि, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा जरूर कहा, लेकिन उनकी कुछ घटनाएं ऐसी रहीं जिन्होंने उन्हें लंबे समय तक सुर्खियों में बनाए रखा। ऐसा ही एक मामला शाहरुख खान के साथ हुआ, जो विवादों में तब्दील हो गया और लंबे समय तक चर्चा में बना रहा।

ओम शांति ओम और विवाद की शुरुआत

विवाद की जड़ 2007 में रिलीज़ हुई फिल्म ओम शांति ओम में छिपी है। इस फिल्म में एक सीन दिखाया गया था, जिसमें मनोज कुमार के डुप्लीकेट को एक पुरस्कार समारोह में प्रवेश से रोका जाता है, क्योंकि उसका पास कोई और चुरा लेता है। सुरक्षा गार्ड इस डुप्लीकेट को न केवल अंदर जाने से रोकते हैं बल्कि उसे पीट भी देते हैं। यह सीन मजाकिया अंदाज़ में फिल्माया गया था, लेकिन मनोज कुमार को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया।

उन्होंने इस दृश्य को अपनी छवि के खिलाफ बताया और इसे अपनी सार्वजनिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। इस पर नाराज होकर उन्होंने फिल्म की टीम—विशेष रूप से शाहरुख खान और निर्देशक फराह खान—पर सौ करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा कर दिया। यह एक बड़ा कदम था, क्योंकि मनोज कुमार भारतीय सिनेमा के उन नामों में से एक हैं जिन्हें लोग बेहद सम्मान की नजर से देखते हैं।

शाहरुख खान की माफी और मामला शांत

जब मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तो शाहरुख खान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मनोज कुमार से माफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सीन एक हल्के-फुल्के मजाक के रूप में दिखाया गया था और वे नहीं चाहते थे कि इससे किसी की गरिमा को चोट पहुंचे।

मनोज कुमार ने शाहरुख की माफी स्वीकार कर ली और केस वापस ले लिया। लेकिन उनके दिल में इस बात की टीस जरूर रह गई कि जापान में जब फिल्म रिलीज हुई, तब भी यह विवादित सीन हटाया नहीं गया था। इससे उन्हें यह महसूस हुआ कि उनकी भावनाओं को पूरी तरह समझा नहीं गया।

अंतिम विदाई पर शाहरुख की भावुक श्रद्धांजलि

अब जब मनोज कुमार हमारे बीच नहीं रहे, शाहरुख खान ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मनोज कुमार ने देश और सिनेमा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह अविस्मरणीय है। शाहरुख ने उनके समर्पण, ईमानदारी और देशभक्ति की भावना की सराहना की और कहा कि वे हमेशा "भारत" रहेंगे।

यह श्रद्धांजलि यह दर्शाती है कि समय के साथ गिले-शिकवे खत्म हो जाते हैं, लेकिन जिन लोगों ने हमारे दिलों में जगह बनाई है, उनका सम्मान हमेशा बना रहता है। मनोज कुमार का फिल्मी सफर भले ही लंबे समय पहले थम गया हो, लेकिन उनका प्रभाव और योगदान हमेशा जीवित रहेगा।


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