
Sikandar and Jat trailer released: सनी देओल और सलमान खान की अपकमिंग फिल्मों "जाट" और "सिकंदर" के ट्रेलर रिलीज के साथ एक बड़ा ट्रेंड सामने आ रहा है—बॉलीवुड के दिग्गज सितारे अब साउथ इंडस्ट्री के डायरेक्टर्स और स्टोरीटेलिंग स्टाइल की तरफ तेजी से झुकाव दिखा रहे हैं।
"ढाई किलो का हाथ अब साउथ में चलेगा" – सनी देओल का बड़ा बयान
जाट के ट्रेलर लॉन्च के दौरान सनी देओल ने अपने अंदाज में एक लाइन मारी जिसने सबका ध्यान खींच लिया—"ढाई किलो के हाथ की ताकत नॉर्थ देख चुका, अब साउथ देखेगा।" लेकिन सिर्फ यही नहीं, सनी ने एक और अहम बात कही जो ट्रेंड को साफ जाहिर करती है। उन्होंने खुलकर कहा कि साउथ के डायरेक्टर्स की कहानी कहने की कला कमाल की है और वे खुद चाहते हैं कि साउथ में ही सेटल हो जाएं। ये बात अपने आप में बताती है कि अब एक्टर्स कंटेंट और कहानी को सबसे ऊपर रख रहे हैं, चाहे वो किसी भी इंडस्ट्री से क्यों न आए।
क्या बॉलीवुड की कहानी कमजोर पड़ रही है?
सनी देओल का यह बयान केवल उनकी पर्सनल राय नहीं बल्कि एक संकेत है कि बॉलीवुड अब साउथ से काफी कुछ सीखने की स्थिति में आ चुका है। उन्होंने खुले मंच से कहा कि बॉलीवुड के प्रोड्यूसर्स को साउथ के प्रोड्यूसर्स से सीख लेनी चाहिए। यही नहीं, उन्होंने माना कि साउथ इंडस्ट्री की कहानियों में लोगों से जुड़ाव और गहराई होती है, जो फिलहाल बॉलीवुड में मिसिंग है।
सिकंदर और जाट – साउथ का दखल
सलमान खान की "सिकंदर" को डायरेक्ट कर रहे हैं ए.आर. मुरुगदॉस, जिन्होंने पहले भी कई ब्लॉकबस्टर साउथ फिल्मों का निर्देशन किया है। फिल्म में ‘बाहुबली’ के कटप्पा यानी सत्यराज एक नेगेटिव रोल में हैं। साथ ही, रश्मिका मंदाना और काजल अग्रवाल जैसी साउथ की सुपरस्टार एक्ट्रेसेस लीड रोल में नजर आएंगी।
वहीं "जाट" को डायरेक्ट कर रहे हैं गोपीचंद मलिनेनी, जिनकी पिछली फिल्म "वीरा सिम्हा रेड्डी" तेलुगु बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही थी। इस फिल्म के निर्माता भी वही हैं जिन्होंने "पुष्पा" बनाई थी, यानी मैत्री मूवी मेकर्स। इससे पहले भी शाहरुख खान की "जवान" में साउथ डायरेक्टर एटली, एक्ट्रेस नयनतारा और विलेन विजय सेतुपति शामिल थे, जिसने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी।
बॉलीवुड डायरेक्टर्स पर भरोसा कम होता जा रहा है?
इस पूरे ट्रेंड से ऐसा लगने लगा है कि बड़े हिंदी फिल्म स्टार्स अब हिंदी फिल्म डायरेक्टर्स और राइटर्स पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। वो साउथ की स्टोरीटेलिंग, प्रजेंटेशन और प्रोडक्शन क्वालिटी से इतना प्रभावित हो चुके हैं कि अब अपनी फिल्मों के लिए भी वहीं का टैलेंट चुन रहे हैं। यह अपने आप में एक इंडस्ट्री ट्रांजिशन की तरफ इशारा है।
बॉलीवुड को खुद को रिवाइवल करने की ज़रूरत है
हाल के वर्षों में जो फिल्में रिलीज़ हुईं, उनमें से कई बॉक्स ऑफिस पर फेल रहीं क्योंकि उनकी कहानियां आम दर्शकों से कनेक्ट नहीं कर पा रही थीं। चाहे वो स्क्रिप्ट की गहराई हो, इमोशनल कनेक्शन या फिर मास अपील—इन सभी मोर्चों पर बॉलीवुड कुछ कदम पीछे नज़र आ रहा है।
अगर ये ट्रेंड जारी रहा और बड़े एक्टर्स साउथ के डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के साथ ही काम करते रहे, तो आने वाले समय में बॉलीवुड के लिए ये एक अलार्म साउंड बन सकता है। ये समय है जब बॉलीवुड को न सिर्फ कंटेंट में सुधार लाना होगा, बल्कि नए टैलेंट को मौका देकर रचनात्मकता में नई जान फूंकनी होगी।
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