University Fees Return Policy UGC: अगर आप किसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के बाद अपना एडमिशन कैंसिल कर देते हैं तो आपको जमा की गई फीस कैसे वापस मिलेगी? फीस रिफंड के लिए UGC का नियम क्या है? इसे एमिटी यूनिवर्सिटी के एक मामले से समझिए। इस मामले में पहले तो संस्थान ने मना कर दिया, अब उन्हें छात्र को ब्याज समेत पूरी फीस लौटानी होगी।
अगर मैं अपना एडमिशन कैंसिल करवाता हूं तो क्या मुझे रिफंड मिल सकता है? जिला उपभोक्ता आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी को सेवा में कमी का दोषी पाया है। आयोग ने यूनिवर्सिटी को 30 दिन के अंदर 1.81 हजार रुपए फीस 6 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी को मुकदमा खर्च के तौर पर पांच हजार रुपए भी देने होंगे।
एमिटी यूनिवर्सिटी फीस रिफंड: समझें पूरा मामला?
दरअसल, बीटेक कोर्स में एडमिशन लेने वाली छात्रा ने पूरे सेमेस्टर की 2.02 लाख रुपए फीस जमा की थी। कोरोना की तीसरी लहर के चलते कक्षाएं शुरू नहीं हो सकीं। ऐसे में परिजनों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से पैसे वापस मांगे, लेकिन प्रबंधन ने मना कर दिया। इसके बाद पीड़ित पक्ष जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचा।
जानकारी के अनुसार राजनगर पार्ट-2 निवासी धर्मेंद्र कुमार तिवारी भारतीय सेना में कर्नल हैं। उनकी बेटी नुपुर तिवारी ने 13 सितंबर 2021 को नोएडा एमिटी यूनिवर्सिटी में बीटेक में एडमिशन लिया था। 23 अगस्त 2021 को पूरे सेमेस्टर की 2.02 लाख रुपये फीस एनईएफटी के जरिए जमा कर दी थी। कोविड 19 महामारी की तीसरी लहर के कारण कोर्स शुरू नहीं हो सका था।
यूनिवर्सिटी ने कोर्स को वर्चुअल मोड और फिजिकल मोड में चलाने का प्रस्ताव रखा। कोविड के कारण अव्यवस्थाएं थीं। इस कारण परिजनों ने छात्र को यूनिवर्सिटी से निकालने का फैसला किया। 14 दिसंबर 2021 को एडमिशन कैंसिल कर दिया गया और यूनिवर्सिटी से पैसे वापस मांगे गए। यूनिवर्सिटी ने फीस वापस करने से मना कर दिया। जबकि 31 अक्टूबर तक एडमिशन कैंसिल होने पर पूरी फीस वापस करने और 31 दिसंबर तक एडमिशन कैंसिल होने पर एक हजार रुपए काटकर बाकी फीस वापस करने का प्रावधान था।
यूजीसी फीस वापसी नीति क्या है?
यूजीसी के निर्देशानुसार छात्र 2.01 लाख रुपये पाने का हकदार है। पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया। आयोग में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि फीस वापसी को लेकर विश्वविद्यालय के नियमों का पालन किया जाता है। आयोग को केस की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। अगर कोई छात्र दाखिले के 30 दिन बाद नाम वापस लेता है तो उसे सिक्योरिटी के अलावा कोई फीस वापस नहीं की जाएगी। आयोग ने इसे यूजीसी की गाइडलाइन का उल्लंघन माना है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार 1000 रुपये काटकर बाकी रकम वापस की जानी चाहिए थी।
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