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Times News Hindi,Digital Desk: तकनीक की दुनिया तेजी से बदल रही है, और अब वैज्ञानिकों ने एक नया शोध पेश किया है, जिससे भविष्य में आपका शरीर ही एक प्राकृतिक चार्जिंग स्टेशन बन सकता है। मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि आगामी 6G वायरलेस तकनीक से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) ऊर्जा को मानव शरीर के जरिए एकत्रित किया जा सकता है, जिससे पहनने योग्य उपकरण जैसे स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग्स को चार्ज किया जा सकेगा।

तकनीक काम कैसे करती है?

यह नई तकनीक विजिबल लाइट कम्युनिकेशन (VLC) पर आधारित है, जिसमें एलईडी लाइट के जरिए डेटा ट्रांसफर किया जाता है। इस प्रक्रिया में एलईडी लाइट के साथ-साथ कुछ मात्रा में रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा भी बाहर निकलती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि एक छोटे तांबे की कुंडली को त्वचा से जोड़ा जाए, तो इस ऊर्जा को एकत्र करने की क्षमता दस गुना तक बढ़ जाती है।

मानव शरीर बना सर्वश्रेष्ठ माध्यम

शोध के मुताबिक, मानव शरीर लकड़ी, प्लास्टिक या स्टील की तुलना में रेडियो संकेतों को एकत्र करने में कहीं अधिक प्रभावी है। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत पर आधारित "ब्रेसलेट+" नामक एक किफायती और आसान उपकरण बनाया है। यह तांबे के तार की एक साधारण कुंडली है, जिसकी लागत लगभग 40 रुपये (50 सेंट) है, और इसे कंगन, अंगूठी या बेल्ट जैसे रूप में पहना जा सकता है।

"ब्रेसलेट+" डिवाइस से माइक्रो-वॉट स्तर तक बिजली उत्पन्न की जा सकती है, जो फिटनेस ट्रैकर और हेल्थ सेंसर जैसे कम ऊर्जा खपत वाले गैजेट्स के लिए पर्याप्त है।

गैजेट्स की बैटरी लाइफ में होगा सुधार

वर्तमान स्मार्टवॉच जैसे गैजेट्स को हर दिन चार्ज करने की जरूरत होती है, जो काफी असुविधाजनक हो सकता है। लेकिन "ब्रेसलेट+" जैसी तकनीक से उपकरण खुद-ब-खुद चार्ज हो सकते हैं, जिससे उनकी बैटरी लाइफ काफी हद तक बढ़ सकती है।

हालांकि, यह तकनीक अभी भी शुरुआती शोध चरण में है और 6G नेटवर्क, विशेष रूप से VLC तकनीक का व्यापक उपयोग अभी विकासाधीन है। लेकिन इस शोध से स्पष्ट है कि निकट भविष्य में आपका शरीर ही आपके गैजेट्स के लिए पावर बैंक बन सकता है।


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