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Times News Hindi,Digital Desk : डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा इस वर्ष चीनी वस्तुओं पर 145% तक का भारी टैरिफ लगाने के जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% तक का जवाबी शुल्क लगाया था। हालांकि, दोनों देशों ने दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो पार्ट्स जैसे जरूरी सामानों पर कुछ छूट जरूर दी है। अब दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत की संभावना बनती दिख रही है, जो पूरी दुनिया के लिए अच्छी खबर साबित हो सकती है।

बातचीत की संभावना बढ़ी

चीन ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के साथ ट्रेड वार्ता फिर से शुरू करने की संभावना पर विचार कर रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका की ओर से बातचीत के लिए कई बार संपर्क किया गया है, जिसका अब चीन आकलन कर रहा है। हालांकि बीजिंग ने स्पष्ट किया है कि बातचीत तभी संभव है जब अमेरिका एकतरफा भारी टैरिफ को खत्म करने के लिए तैयार हो।

चीन ने साफ शब्दों में कहा है, "अगर अमेरिका वास्तव में बातचीत चाहता है, तो उसे अपनी गलतियां सुधारनी होंगी और टैरिफ वापस लेने होंगे।" अमेरिकी अधिकारियों ने भी इस दिशा में नरमी दिखाई है। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हासेट ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच अनौपचारिक बातचीत जारी है, और टैरिफ में कुछ छूट मिलना सकारात्मक संकेत है।

बाजार की प्रतिक्रिया

ट्रेड वार्ता की खबर सामने आने के बाद वित्तीय बाजारों में सकारात्मक असर दिखा। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 1.2% ऊपर खुला और चीनी मुद्रा युआन में 0.14% की मजबूती दर्ज की गई। निवेशकों के लिए यह एक अच्छी खबर है, जो वैश्विक व्यापार में सुधार की उम्मीद जता रहे हैं।

बातचीत आसान नहीं

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की अनिश्चित नीतियों और दोनों देशों की सख्त रवैये के चलते यह बातचीत इतनी आसान नहीं होगी। चीन मामलों की विशेषज्ञ डैन वांग का कहना है, "यह संभव है कि दोनों देश सार्वजनिक तौर पर झुकने की बजाय पीछे हटते हुए धीरे-धीरे टैरिफ कम कर सकते हैं।"

आगे क्या हो सकता है?

आने वाले समय में, अमेरिका और चीन दोनों धीरे-धीरे टैरिफ में कमी कर सकते हैं। ट्रेड वॉर कम होने से भारत सहित अन्य देशों को भी लाभ हो सकता है, क्योंकि इससे रुपया मजबूत होगा, शेयर बाजार में तेजी आएगी, और आयातित सामानों की कीमतें स्थिर होंगी। लेकिन पूर्ण और स्थायी समझौता होने में अभी लंबा समय लग सकता है।


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