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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 अप्रैल को एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए 75 देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए टाल दिया। इस फैसले को वैश्विक व्यापारिक साझेदारों के लिए एक राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, दूसरी तरफ उन्होंने चीन पर दबाव और बढ़ा दिया, जिससे अमेरिका और चीन—दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं—के बीच व्यापारिक तनाव और तेज हो गया है।

चीन के खिलाफ ट्रंप का रुख और भी सख्त हो गया है। उन्होंने सभी चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया। यह कदम उस वक्त आया जब चीन ने पहले ही अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में 84 प्रतिशत तक के टैरिफ का ऐलान कर दिया था। दोनों देशों के बीच टैरिफ वॉर अब एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जिसमें हर बार एक पक्ष दूसरे को जवाब देने में पीछे नहीं हट रहा।

व्हाइट हाउस ने बाकी व्यापारिक साझेदारों को भी स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है। "अगर आप बदला नहीं लेते हैं, तो आपको इसका इनाम मिलेगा," यह संदेश ट्रंप प्रशासन ने दुनिया भर के देशों को दिया है। यह नीति सीधे तौर पर उन देशों के लिए है जो अमेरिका के खिलाफ व्यापारिक पलटवार करने की सोच रहे हैं।

उधर, चीन ने अमेरिका की चेतावनी के बावजूद अपने रुख से पीछे हटने से इनकार कर दिया है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी 'शिन्हुआ' के अनुसार, गुरुवार दोपहर 12:01 बजे से अमेरिका से आने वाले 84 प्रतिशत आयात पर नया टैरिफ लागू हो गया। चीन ने साफ किया कि वह अमेरिका की 'रेसिप्रोकल टैरिफ' नीति को एकतरफा और अन्य देशों के वैध हितों के खिलाफ मानता है।

बीजिंग के वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इस तरह के टैरिफ दुनिया भर के देशों की संप्रभुता और व्यापारिक हितों का उल्लंघन हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि कोई भी व्यापार युद्ध जीत नहीं सकता और चीन ऐसा युद्ध नहीं चाहता। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर चीन के नागरिकों के अधिकार और हित प्रभावित होते हैं, तो सरकार चुप नहीं बैठेगी।

ट्रंप द्वारा अधिकांश देशों पर टैरिफ लगाने के महज 24 घंटे के भीतर यह यू-टर्न देखने को मिला। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ जब ट्रंप की टैरिफ नीति ने कोरोना महामारी के बाद की अवधि में वित्तीय बाजारों को भारी अस्थिरता में डाल दिया था। शेयर बाजारों से खरबों डॉलर की पूंजी गायब हो गई थी और अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स की कीमतों में भी गिरावट देखी गई थी।

हालांकि, टैरिफ में राहत के इस ऐलान के बाद बाजारों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। अब देखना यह होगा कि चीन और अमेरिका के बीच यह व्यापारिक तनाव किस दिशा में आगे बढ़ता है और बाकी देशों की क्या प्रतिक्रिया होती है।


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