
Ambedkar Jayanti : बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पूरा देश उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। इस विशेष अवसर पर देश के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद परिसर स्थित प्रेरणा स्थल पर डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह अवसर न केवल बाबा साहेब के प्रति सम्मान प्रकट करने का था, बल्कि उनके विचारों और योगदान को स्मरण करने का भी था। अंबेडकर ने भारतीय संविधान का निर्माण किया, जो आज हमारे लोकतंत्र की नींव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाबा साहेब को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें सामाजिक न्याय का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि बाबा साहेब के विचार और सिद्धांत आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज देश सामाजिक न्याय के आदर्श को साकार करने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रहा है, और यह प्रेरणा बाबा साहेब से ही प्राप्त होती है।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का सम्मान
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी संसद परिसर के प्रेरणा स्थल पर अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अंबेडकर ने हमें जो संविधान दिया, वह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह संविधान सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार है।
खरगे ने आगे कहा कि बाबा साहेब ने समावेशिता को राष्ट्रीय एकता और प्रगति का मूलमंत्र माना और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा पर जोर दिया। उनकी 135वीं जयंती के अवसर पर कांग्रेस पार्टी उनके विचारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है और यह संकल्प लेती है कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदैव तत्पर रहेगी।
बाबा साहेब अंबेडकर का जीवन और योगदान
बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 1891 में एक दलित परिवार में हुआ था। वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे जिन्होंने विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की। भारतीय समाज में उन्हें व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसने उन्हें एक समर्पित समाज सुधारक बना दिया। अंबेडकर ने जीवन भर अनुसूचित जातियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी बने। 1956 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी समाज को दिशा दिखा रहे हैं। उनकी जयंती केवल एक स्मृति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है — समानता, न्याय और अधिकारों की रक्षा की।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि सामाजिक परिवर्तन केवल विचारों से नहीं, बल्कि निःस्वार्थ समर्पण और संघर्ष से संभव होता है — और इस राह के सबसे बड़े पथप्रदर्शक थे बाबा साहेब अंबेडकर।