
Hanuman Jayanti 2025 and Pink Moon: आज का दिन बेहद खास है। हनुमान जयंती के पावन अवसर पर आसमान में भी एक अद्भुत खगोलीय घटना घटने जा रही है। आज की रात चांद एक अलग रूप में दिखाई देगा जिसे "पिंक मून" या "माइक्रोमून" कहा जाता है। इस साल यह घटना न केवल हनुमान जयंती के दिन हो रही है, बल्कि बैसाखी जैसे बड़े पर्व के आसपास भी पड़ रही है, जिससे इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ गया है।
क्या है पिंक मून और क्यों है यह खास
"पिंक मून" नाम सुनते ही कई लोगों को यह भ्रम हो सकता है कि चांद वाकई गुलाबी रंग का दिखाई देगा। लेकिन ऐसा नहीं है। यह नाम प्रतीकात्मक है। दरअसल, यह नाम एक विशेष फूल ‘मॉस पिंक’ (फ्लॉक्स) से जुड़ा हुआ है, जो वसंत ऋतु में विशेषकर उत्तर अमेरिका में अप्रैल के महीने में खिलता है। पूर्णिमा के इस चांद को इसी वजह से पिंक मून कहा गया है।
यह चंद्रमा एक और कारण से खास है—यह माइक्रोमून भी है। यानी आज का चांद पृथ्वी से सबसे दूर स्थित बिंदु 'अपोजी' पर है। इस वजह से यह सामान्य पूर्णिमा के मुकाबले आकार में थोड़ा छोटा और चमक में थोड़ा मंद दिखाई देगा। यह सुपरमून से ठीक उल्टा है, जब चांद पृथ्वी के सबसे पास आता है और बड़ा व तेज दिखाई देता है।
वसंत ऋतु में पिंक मून का आध्यात्मिक महत्व
पिंक मून का सीधा संबंध वसंत ऋतु से है, जो स्वयं ही नवीनीकरण, ताजगी और नई शुरुआत का प्रतीक होती है। वसंत के इस चरण में यह चांद कई संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में पुनर्जागरण, ऊर्जा और आत्मिक शक्ति का संकेत देता है। यह समय जीवन में नई ऊर्जा भरने, पुराने बोझों को पीछे छोड़ने और सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीक माना जाता है।
हनुमान जयंती 2025 पर पिंक मून का अद्वितीय संयोग
भारत में इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यही दिन भगवान हनुमान के जन्मोत्सव – हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती को साहस, शक्ति और भक्ति का पर्व माना जाता है। जब पिंक मून जैसे आत्मिक शक्ति से जुड़े खगोलीय घटना इसी दिन होती है, तो यह धार्मिक दृष्टि से विशेष ऊर्जा प्रदान करने वाला अवसर बन जाता है।
इस संयोग में एक खास बात यह भी है कि हनुमान जी को चंद्रमा से जुड़ी शक्तियों के संरक्षक भी माना जाता है। इसलिए पिंक मून का उनकी जयंती पर आना एक अद्वितीय संकेत की तरह देखा जा सकता है, जो भक्ति और शक्ति दोनों को नई दिशा देता है।
बैसाखी 2025 के साथ पिंक मून का संयोग
पिंक मून का संयोग बैसाखी जैसे पर्व से भी जुड़ता है, जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन पंजाब और उत्तर भारत में फसल कटाई के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है और सिख धर्म में इसे खालसा पंथ की स्थापना के रूप में भी जाना जाता है।
पिंक मून के ठीक बाद आने वाली बैसाखी, नई ऊर्जा, नई फसल और नए साल की शुरुआत का प्रतीक बनती है। ऐसे में पिंक मून जैसे खगोलीय घटना और बैसाखी का मिलन एक गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश देता है—नवीनता, बदलाव और पुनर्निर्माण का।
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