
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का बुधवार का सत्र बेहद तनावपूर्ण रहा। सत्र की शुरुआत भले ही सामान्य ढंग से हुई, लेकिन जल्द ही माहौल गर्मा गया और नारेबाजी से शुरू हुआ विवाद हाथापाई तक पहुंच गया। सदन में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली। दोनों पक्षों के विधायक एक-दूसरे के खिलाफ नारे लगाते नज़र आए, जिससे सदन का वातावरण बेहद अशांत हो गया।
इस हंगामे में नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी जमकर नारेबाजी की और वक्फ कानून को लेकर चर्चा की जोरदार मांग की। मामला उस वक्त और गंभीर हो गया जब एनसी विधायक सदन के बीच में पहुंच गए और उन्होंने वक्फ कानून पर तत्काल चर्चा कराने की ज़ोरदार मांग रखी।
वक्फ कानून पर चर्चा की मांग बनी विवाद की जड़
नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना था कि वक्फ कानून को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं और इस विषय पर सदन में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। हालांकि, भाजपा ने इस प्रस्ताव का सख्त विरोध किया। भाजपा विधायकों का कहना था कि वक्फ कानून पर चर्चा की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह मामला अदालत में विचाराधीन है।
इस बीच, विधानसभा के बाहर भी स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। एंट्री गेट के पास आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की की नौबत आ गई। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को स्थिति नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
पहले भी हो चुका है हंगामा
गौरतलब है कि इसी मुद्दे को लेकर सोमवार को भी सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ था। उस दिन के सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर को कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। यह इस बजट सत्र का पहला मौका था जब कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
जैसे ही बुधवार को कार्यवाही शुरू हुई, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं नज़ीर ग़ुरेज़ी और तनवीर सादिक ने प्रश्नकाल को स्थगित कर वक्फ कानून पर चर्चा का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का समर्थन कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों सहित कुल नौ सदस्यों ने किया था।
भाजपा का विरोध और विधानसभा अध्यक्ष का रुख
नेता सदन सुनील शर्मा के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया। जैसे ही यह प्रस्ताव पेश किया गया, सदन में शोरगुल शुरू हो गया जो कुछ मिनटों तक जारी रहा। अध्यक्ष राथर ने नियम 58 का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि जब कोई मामला न्यायालय में लंबित हो, तो उस पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह प्रश्नकाल को स्थगित करने की अनुमति नहीं दे सकते क्योंकि वक्फ कानून से संबंधित मामला अदालत में विचाराधीन है।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में राजनीतिक दलों के बीच मतभेद कितने गहरे हैं, खासकर जब संवेदनशील और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की बात आती है।