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Times News Hindi,Digital Desk : उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर न केवल हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है बल्कि अपने रहस्यमयी पहलुओं के लिए भी विख्यात है। केदारनाथ मंदिर, जो कि चार धामों में से एक है, साल के छह महीने खुले और छह महीने बंद रहते हुए एक अनोखी परंपरा को समेटे हुए है। मंदिर के बंद होने के बावजूद इसके अंदर एक दीपक लगातार जलता रहता है, जिसे "अखंड ज्योति" कहा जाता है।

शिवपुराण के अनुसार, केदारनाथ मंदिर वह दिव्य स्थल है जहां भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार भी इस मंदिर के दर्शन करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मंदिर के निकट स्थित झील का जल पीने से व्यक्ति को जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।

लेकिन इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य इसका वह दीपक है, जो मंदिर के छह महीने बंद रहने के बावजूद जलता रहता है। स्थानीय लोगों और पुजारियों के अनुसार, जब मंदिर के कपाट शीतकाल के दौरान बंद रहते हैं, तब इस स्थान पर देवता पूजा-अर्चना करने आते हैं। मंदिर के बंद होने के बाद भी मंदिर के अंदर से घंटियों की आवाज सुनाई देने की बात भी कही जाती है। ये घटनाएं हजारों वर्षों से लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई हैं, लेकिन आज तक इसका कोई वैज्ञानिक या तार्किक कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।

केदारनाथ मंदिर की स्थापना महाभारत काल के बाद पांडवों के वंशज महाराजा जन्मेजय ने की थी। बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने किया। 12 ज्योतिर्लिंगों और पंचकेदारों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले केदारनाथ मंदिर में शिव की उपस्थिति निरंतर महसूस की जाती है।

यह अनोखा रहस्य श्रद्धालुओं के लिए आस्था और जिज्ञासा दोनों का केंद्र बना हुआ है, और हर साल हजारों भक्त इस पवित्र और रहस्यमय मंदिर के दर्शन करने आते हैं।


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