
सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार, विशेषकर बैंकिंग सेक्टर के लिए ऐतिहासिक रहा। निफ्टी बैंक इंडेक्स ने करीब 2% की बढ़त के साथ 55,291.05 अंक पर कारोबार कर न केवल दिन की शानदार शुरुआत की, बल्कि अब तक का सर्वकालिक उच्च स्तर भी छू लिया। बीते कुछ हफ्तों से इंडेक्स में लगातार तेजी देखने को मिल रही है, और पिछले 5 कारोबारी सत्रों में ही 8.09% की बढ़ोतरी ने निवेशकों को चौंका दिया है।
बढ़त के पीछे के बड़े कारण
इस तेजी के पीछे कई ठोस कारण हैं, जिनमें प्रमुख बैंकों की मजबूत तिमाही आय रिपोर्ट, आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती और बैंकिंग प्रणाली में तरलता का बढ़ना प्रमुख हैं। आइए, इन सभी कारकों को विस्तार से समझते हैं:
1. मजबूत तिमाही आय ने बढ़ाया भरोसा
एचडीएफसी बैंक
देश के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक ने चौथी तिमाही में शानदार प्रदर्शन करते हुए 17,616 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले साल की तुलना में 6.7% अधिक है। वहीं बैंक की शुद्ध ब्याज आय 10.3% की बढ़ोतरी के साथ 32,066 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
आईसीआईसीआई बैंक
आईसीआईसीआई बैंक ने भी कमाल कर दिखाया। इसका शुद्ध लाभ 18% की बढ़ोतरी के साथ 12,630 करोड़ रुपये रहा। साथ ही, बैंक ने शुद्ध और सकल एनपीए में भी सुधार दिखाया, जिससे इसकी वित्तीय स्थिति और मजबूत हुई।
यस बैंक
यस बैंक ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है। बैंक का कर पश्चात लाभ 11% बढ़कर 1,739 करोड़ रुपये रहा। इसमें प्रावधानों में कमी और स्थिर परिसंपत्ति गुणवत्ता ने अहम भूमिका निभाई।
इन आय रिपोर्ट्स ने बैंकिंग सेक्टर में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया और निफ्टी बैंक इंडेक्स में रफ्तार ला दी।
2. बैंकिंग सेक्टर में तरलता की भरमार
बाजार में तरलता यानी liquidity एक बड़ा गेम चेंजर साबित हुई है। 31 मार्च को आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली से 3.46 लाख करोड़ रुपये अवशोषित किए, जबकि 31 दिसंबर को यह आंकड़ा मात्र 87,702 करोड़ रुपये था। इसका मतलब है कि अब बैंकों के पास पहले से कहीं ज्यादा फंड उपलब्ध हैं, जिसे वे कर्ज देने में लगा सकते हैं।
तरलता बढ़ने से क्या फायदा हुआ?
उधार दरें घटीं, जिससे लोन लेना सस्ता हुआ।
उपभोक्ताओं और व्यवसायों की ऋण मांग में बढ़ोतरी हुई।
बैंकों की ब्याज आय बढ़ी, जिससे उनकी कमाई में सुधार आया।
ये सभी फैक्टर्स निफ्टी बैंक इंडेक्स की तेजी में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
3. आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती ने दिए पंख
भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6% कर दिया है, और अपना रुख 'तटस्थ' से बदलकर 'समायोज्य' किया है। यह इस साल दूसरी बार हुआ है जब आरबीआई ने दरों में कटौती की है।
इसका प्रभाव:
लोन लेना हुआ सस्ता – जैसे होम लोन, ऑटो लोन, बिजनेस लोन।
लोगों की ईएमआई कम हुई, जिससे डिस्पोजेबल इनकम बढ़ी।
बैंकिंग सेक्टर में सकारात्मक माहौल बना जिससे निवेशकों का रुझान बढ़ा।
आरबीआई की यह पॉलिसी बदलाव मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बल देती है। यही वजह है कि निवेशकों ने बैंकिंग स्टॉक्स में जमकर निवेश किया।
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