
17वें सिविल सेवा दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के लोक सेवकों को संबोधित करते हुए उनके योगदान की सराहना की और आने वाली चुनौतियों के लिए उन्हें मार्गदर्शन भी दिया। पीएम मोदी ने इस विशेष मौके को कई मायनों में ऐतिहासिक बताया, क्योंकि यह वर्ष न केवल संविधान की 75वीं वर्षगांठ है, बल्कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष भी है।
‘राष्ट्रसेवा सर्वोच्च कर्तव्य’: सरदार पटेल को किया नमन
प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल को याद करते हुए कहा कि एक सच्चा सिविल सेवक वही होता है जो राष्ट्र की सेवा को सर्वोच्च मानता है और पूरी निष्ठा के साथ लोकतांत्रिक प्रणाली में काम करता है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण से भरे हुए सिविल सेवक ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मार्ग पर आगे ले जा सकते हैं।
‘बदलती दुनिया में पुरानी नीतियों से काम नहीं चलेगा’
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और ऐसे में हमारी नौकरशाही और नीति-निर्माण के तौर-तरीकों को भी बदलना जरूरी है। उन्होंने बताया कि 2014 से व्यवस्थागत बदलाव को प्राथमिकता दी गई है और अब हम तेजी से खुद को अपडेट कर रहे हैं ताकि देश की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
“भारत का आकांक्षी समाज – युवा, किसान, महिलाएं – सभी बड़े सपने देखते हैं। इन्हें पूरा करने के लिए हमें उतनी ही तेज़ प्रगति करनी होगी।”
'भारत का समग्र विकास' – सिर्फ थीम नहीं, एक संकल्प
इस वर्ष के सिविल सेवा दिवस की थीम 'भारत का समग्र विकास' को पीएम मोदी ने एक थीम नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रति संकल्प बताया। उन्होंने कहा कि वास्तविक विकास का मतलब यह नहीं कि कुछ ही लोगों को लाभ मिले, बल्कि ऐसा विकास हो जिसमें हर नागरिक, हर गांव, हर परिवार शामिल हो।
हर घर में साफ पानी
हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
हर योजना का गहराई से क्रियान्वयन
नीतियों का जमीनी असर
इन बिंदुओं को असली सुशासन का पैमाना बताया।
'कोई पीछे न छूटे' – सबका साथ, सबका विकास
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि हमारी नीतियां तभी सफल मानी जाएंगी जब कोई भी नागरिक, कोई भी परिवार या गांव पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि आज हमें उस स्तर पर परिणाम चाहिए जहां नीतियों का वास्तविक लाभ सीधे जनता तक पहुंचे।