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वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तथ्यों और दलीलों को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि “देश की सर्वोच्च अदालत में ऐसे आधारहीन याचिकाएं नहीं आनी चाहिए।” कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी न्याय प्रक्रिया की गंभीरता और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती है।

क्या है मामला?

मुर्शिदाबाद में वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दाखिल की गईं:

SIT गठन की मांग – हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए कोर्ट की निगरानी में एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की मांग।

न्यायिक आयोग की मांग – एक पांच सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाकर घटना की जांच कराने की मांग और साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर जवाब मांगने की अपील।

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी और टिप्पणियां

याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कड़े सवाल किए:

"पुनर्वास किए जाने वाले लोग कौन हैं?"

"वे लोग कहां हैं जो राज्य से भाग गए?"

"क्या वे लोग अदालत के सामने मौजूद हैं?"

"आप मीडिया रिपोर्ट्स पर इतना भरोसा क्यों कर रहे हैं?"

"क्या आप किसी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं?"

"आप एक व्यक्ति पर ही आरोप क्यों लगा रहे हैं?"

इन सवालों से स्पष्ट है कि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश की गई जानकारी को अपुष्ट और अस्पष्ट माना।

अदालत का आदेश और सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "हम इस तरह की अपुष्ट जानकारी के आधार पर कोई आदेश पारित नहीं कर सकते।"

“आप बहुत जल्दी में हैं। एक उचित, तथ्य-आधारित और सटीक याचिका दाखिल करें।”

कोर्ट ने यह भी कहा, “हम उन लोगों की मदद करना चाहते हैं जो आवाज़हीन हैं, लेकिन उसके लिए याचिका ठोस होनी चाहिए।”

अंततः याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका स्वेच्छा से वापस ले ली।

कौन थे याचिकाकर्ता?

याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा और विशाल तिवारी द्वारा दाखिल की गई थीं। इन्होंने कोर्ट से SIT जांच और न्यायिक आयोग की मांग की थी, साथ ही बंगाल सरकार से स्थिति पर जवाबतलबी की मांग की थी।

क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?

यह मुद्दा वक्फ संपत्तियों और संशोधन कानूनों से जुड़ा हुआ है, जो कई समुदायों के लिए संवेदनशील हो सकता है।

मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद कानून व्यवस्था और राजनीतिक तनाव में बढ़ोतरी देखी गई।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी यह दर्शाती है कि पीआईएल (जनहित याचिका) का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, और अदालत का समय तथ्यों के आधार पर ही मांगा जाए।


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