
Times News Hindi,Digital Desk : दिल्ली-NCR के हजारों होम बायर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत का रास्ता साफ किया है। कोर्ट ने दिल्ली NCR के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम और गाजियाबाद में विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के बीच संदिग्ध सांठगांठ की जांच का आदेश CBI को दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि आम लोगों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाली इस कथित सांठगांठ की व्यापक जांच जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच को सात अलग-अलग प्रारंभिक जांचों (PE) में बांटा है। एक जांच विशेष तौर पर सुपरटेक के खिलाफ होगी, जिसके 6 शहरों में फैले 21 से अधिक प्रोजेक्ट और 19 वित्तीय संस्थानों के बीच गहरे संबंध पाए गए हैं। अदालत ने अपने आदेश में बताया कि सिर्फ सुपरटेक के प्रोजेक्ट से ही करीब 800 से अधिक घर खरीदार प्रभावित हुए हैं।
अदालत ने CBI निदेशक को इस जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को कहा गया है कि वे CBI को आवश्यक पुलिस अधिकारी मुहैया कराएं। यूपी से कम से कम 12 डिप्टी एसपी, 20 इंस्पेक्टर और 30 हेड कॉन्स्टेबल/कॉन्स्टेबल चुने जाएंगे, जिनमें से 10 महिला पुलिसकर्मी होंगी। इसी तरह हरियाणा से भी पुलिस बल के अधिकारी जांच के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस पूरे मामले की निगरानी खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा, और CBI को अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। मामले की सुनवाई हर महीने कोर्ट में होगी।
कोर्ट की टिप्पणी में स्पष्ट कहा गया है कि घर खरीददारों, बिल्डरों और बैंकों के बीच त्रिपक्षीय समझौतों में गंभीर खामियां हैं। 2013-15 के बीच शुरू की गई कई परियोजनाओं में बिल्डरों ने 2018-19 से EMI के भुगतान बंद कर दिए, जिससे खरीदारों को अधूरी परियोजनाओं का बोझ उठाना पड़ा। बैंक भी इस मामले में खरीदारों से जबरन भुगतान की मांग करते रहे, जिससे हजारों परिवार प्रभावित हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे अधिकारियों की "सिस्टेमैटिक विफलता" बताया और पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की जरूरत पर जोर दिया।
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