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Times News Hindi,Digital Desk : 30 अप्रैल 2025 को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) की बैठक में केंद्र सरकार ने किसानों के हित में बड़ा निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत अक्टूबर 2025 से सितंबर 2026 तक के गन्ना सीजन के लिए फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) बढ़ा दिया गया है। इस फैसले का लाभ देशभर के करोड़ों गन्ना किसानों को सीधे मिलेगा।

FRP क्यों बढ़ाई गई?

देशभर में किसान लंबे समय से FRP बढ़ाने की मांग कर रहे थे। लगातार बढ़ती खेती की लागत, डीजल के बढ़ते दाम, मजदूरी और भुगतान में देरी की वजह से किसान आर्थिक दबाव में थे। FRP बढ़ने से किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।

FRP बढ़ने से चीनी मिलों की लागत भी बढ़ सकती है, जिसका असर चीनी की कीमतों पर पड़ने की संभावना है। इसका सीधा प्रभाव चीनी उद्योग से जुड़ी कंपनियों जैसे Balrampur Chini, Dalmia Bharat Sugar, Triveni Engineering के शेयरों पर देखने को मिल सकता है।

FRP क्या है?

फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) वह न्यूनतम मूल्य है जो केंद्र सरकार चीनी मिलों को किसानों के गन्ने के भुगतान के लिए निर्धारित करती है। यह मूल्य देशभर के सभी राज्यों में लागू होता है और चीनी मिलों के लिए इसका भुगतान करना कानूनी तौर पर अनिवार्य होता है। FRP का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है।

SAP क्या होता है?

स्टेट एडवाइज्ड प्राइस (SAP) राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है और यह केवल संबंधित राज्यों में लागू होता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्य अपनी जरूरतों और स्थितियों के अनुसार SAP घोषित करते हैं। राज्य सरकारें चीनी मिलों को निर्देश देती हैं कि किसानों को भुगतान FRP से कम नहीं बल्कि SAP के अनुसार किया जाए।


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