
आजकल हमारा अधिकांश निजी और व्यावसायिक डेटा मोबाइल फोन में ही सहेजा जाता है। इसमें बैंकिंग एप्स, पर्सनल चैट्स, डॉक्युमेंट्स, पासवर्ड्स और यहां तक कि बायोमेट्रिक जानकारियां भी शामिल होती हैं। ऐसे में अगर आपके फोन में कोई स्पायवेयर चुपचाप एक्टिव है, तो आपकी प्राइवेसी और सुरक्षा गंभीर खतरे में पड़ सकती है। डर की बात यह है कि कई स्पायवेयर बिना किसी सूचना या अलर्ट के मोबाइल में इंस्टॉल हो जाते हैं और लंबे समय तक वहां मौजूद रहते हैं।
यह खतरा Pegasus जैसे एडवांस्ड जासूसी टूल्स से लेकर किसी थर्ड पार्टी एप्लिकेशन के जरिए आए लोकल मैलवेयर तक हो सकता है। लेकिन बड़ा सवाल है – क्या आप जान पाएंगे कि आपके फोन में कोई स्पायवेयर काम कर रहा है या नहीं?
1. फोन की परफॉर्मेंस में अचानक गिरावट आना
यदि आपका स्मार्टफोन बिना किसी बड़े अपडेट या भारी एप्लिकेशन के इस्तेमाल के धीमा हो जाए, तो यह सामान्य बात नहीं है। खासकर यदि बैटरी बहुत तेजी से खत्म होने लगे या फोन बार-बार गर्म हो, तो यह संकेत हो सकता है कि बैकग्राउंड में कोई अनचाहा प्रोग्राम, जैसे कि स्पायवेयर, लगातार सक्रिय है।
स्पायवेयर लगातार बैकग्राउंड में डाटा कलेक्ट करता है, रिकॉर्डिंग करता है या लोकेशन भेजता है, जिससे सिस्टम रिसोर्सेस पर असर पड़ता है और फोन धीमा हो जाता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह कोई मामूली गड़बड़ी नहीं बल्कि गंभीर संकेत हो सकता है।
2. अनजान ऐप्स, और कैमरा या माइक का अपने आप ऑन होना
स्पायवेयर ऐप्स अक्सर अपने आइकन छुपा लेते हैं, जिससे वे सामान्य ऐप लिस्ट में नज़र नहीं आते। लेकिन अगर आप फोन की सेटिंग्स में जाकर ‘Installed Apps’ की पूरी लिस्ट देखें, तो किसी अज्ञात या संदिग्ध नाम वाले ऐप पर शक हो सकता है। खासकर ऐसे ऐप्स जो आपने कभी खुद इंस्टॉल नहीं किए।
इसके अलावा, अगर आपका कैमरा या माइक्रोफोन बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार ऑन हो जाता है, तो यह खतरे की घंटी है। स्पायवेयर आपके आस-पास की बातें सुनने या वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश कर सकता है। यह एक गंभीर प्राइवेसी ब्रीच हो सकता है।
3. बिना यूज के भी डेटा यूसेज बढ़ जाना
आपका फोन जब उपयोग में न हो, तब भी अगर डेटा बहुत तेज़ी से खर्च हो रहा है, तो यह चिंता की बात है। हो सकता है स्पायवेयर आपकी फाइल्स, लोकेशन डिटेल्स, कॉल लॉग्स या ऑडियो क्लिप्स को किसी बाहरी सर्वर पर भेज रहा हो।
डेटा यूसेज को ट्रैक करने के लिए आप फोन की सेटिंग्स में जाकर ऐप-बाय-ऐप डेटा कंजंप्शन देख सकते हैं। अगर कोई ऐप असामान्य रूप से ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे तुरंत हटाएं और फोन को स्कैन करें।
4. अजीब लिंक, OTP रिक्वेस्ट या लॉगिन अलर्ट मिलना
अगर आपके फोन पर अचानक अज्ञात लिंक वाले मैसेज या ईमेल आने लगें, जिनमें OTP मांगे गए हों या किसी अनजान डिवाइस से लॉगिन का नोटिफिकेशन आए, तो यह फिशिंग या स्पायवेयर अटैक का संकेत हो सकता है।
इन संदेशों में दिए गए लिंक पर क्लिक करना खतरे को और बढ़ा सकता है। इसलिए सावधानी बरतें, किसी भी संदिग्ध लिंक को खोलने से पहले दो बार सोचें और ऐसे मैसेज की रिपोर्ट करें। साथ ही, अपनी सभी ऑनलाइन सेवाओं पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन रखें।
5. कैसे करें स्पायवेयर का पता? मददगार टूल्स
हाल ही में भारत सरकार की एजेंसी CERT-In ने कुछ प्रभावशाली बॉट रिमूवल टूल्स लॉन्च किए हैं जो मोबाइल और लैपटॉप डिवाइसेज में छिपे मालवेयर और स्पायवेयर को स्कैन करके उनकी पहचान कर सकते हैं। ये टूल्स iOS और Android दोनों के लिए उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, Android यूजर्स के लिए कुछ विश्वसनीय थर्ड पार्टी एंटीवायरस ऐप्स जैसे Malwarebytes और Avast Mobile Security बहुत उपयोगी हैं। ये ऐप्स फोन में छिपे स्पायवेयर को स्कैन करके अलर्ट कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें हटाने में मदद भी करते हैं।
साथ ही, Android यूजर्स को हमेशा Google Play Protect को ऑन रखना चाहिए और अनजान सोर्स से कोई भी APK फाइल डाउनलोड या इंस्टॉल करने से बचना चाहिए।
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