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Shukra Pradosh Puja : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। आज वैशाख माह में 25 अप्रैल, शुक्रवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी है, जिसे शुक्र प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और अच्छी सेहत आती है।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:53 बजे से रात 9:03 बजे तक रहेगा। इस अवधि में भगवान शिव की पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें।

सुबह शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें या घर के मंदिर में दीप जलाएं।

प्रदोष काल में (शाम को) शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।

दूध, दही, शक्कर और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।

बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल आदि भगवान शिव को अर्पित करें।

खील, हलवा, मालपुआ, पंचामृत और दही का भोग लगाएं।

पूजा संपन्न कर भगवान शिव की आरती करें।

प्रदोष व्रत में उच्चारण किए जाने वाले मंत्र

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय:

ॐ नमो नीलकण्ठाय:

ॐ पार्वतीपतये नमः:

श्री शंकराय नम:

श्री महेश्वराय नम:

श्री सांबसदाशिवाय नम:

ओम पार्वतीपतये नम:

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

शिव स्तुति मंत्र

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।


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