
आखिरकार वैज्ञानिकों ने यूरेनस के दिन की लंबाई को लेकर दशकों पुरानी पहेली को सुलझा लिया है। हबल स्पेस टेलीस्कोप के 10 वर्षों के डेटा की गहन जांच के बाद अब स्पष्ट हो चुका है कि यूरेनस को अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाने में ठीक 17 घंटे, 14 मिनट और 52 सेकंड लगते हैं। यह आंकड़ा 1980 के दशक में नासा के वॉयजर 2 मिशन द्वारा दिए गए अनुमान से 28 सेकंड अधिक है।
यह संशोधन साधारण नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह नई गणना यूरेनस के वातावरण से निकलने वाले चुंबकीय क्षेत्रों और रेडियो तरंगों के विश्लेषण के आधार पर की है। इसके जरिए ग्रह की सतह के साथ-साथ इसके अंदरूनी ढांचे को बेहतर समझने की दिशा में भी रास्ते खुले हैं। खासकर, ग्रह के चुंबकीय ध्रुवों की स्थिति और उनकी गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझने में यह डेटा बेहद उपयोगी साबित हुआ है।
हबल की मदद से हुआ यूरेनस के घूमने के समय में सुधार
हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से किए गए अध्ययन में यह पुष्टि हुई कि यूरेनस 17 घंटे, 14 मिनट और 52 सेकंड में अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाता है। यह समय नासा के वॉयजर 2 द्वारा दी गई पुरानी गणना से थोड़ा अधिक है, लेकिन इस मामूली फर्क से ग्रह की संरचना और उसके वातावरण को लेकर हमारे पास अब कहीं अधिक सटीक जानकारी उपलब्ध है।
इस अध्ययन का नेतृत्व फ्रांस की पेरिस वेधशाला के लॉरेंट लैमी ने किया। लैमी की टीम ने यूरेनस के ऑरोरा, यानी इसके वायुमंडल में उत्पन्न होने वाली रोशनी की गतिविधियों का दस वर्षों तक अवलोकन किया। इस लंबे समय तक की गई निगरानी ने ग्रह के चुंबकीय ध्रुवों की स्थिति के साथ-साथ उसकी सटीक घूर्णन अवधि को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाई।
यूरेनस को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 84 पृथ्वी वर्ष लगते हैं, लेकिन उसकी अपनी धुरी पर घूमने की प्रक्रिया उतनी ही दिलचस्प है जितनी इसकी कक्षा। ये नए आंकड़े भविष्य में यूरेनस पर मानव या रोबोटिक मिशनों की योजना बनाने में मददगार साबित होंगे।
यूरेनस का अनोखा घूर्णन: क्यों है यह ग्रह बाकी ग्रहों से अलग
यूरेनस का घूर्णन बाकी ग्रहों से एकदम अलग है। जहां बाकी ग्रह अपनी धुरी पर लगभग खड़े होकर घूमते हैं, वहीं यूरेनस लगभग बग़ल में लेटकर घूमता है। वैज्ञानिकों ने यह पुष्टि की है कि इसका घूर्णन अक्ष 98 डिग्री तक झुका हुआ है। इस झुकाव के कारण यूरेनस के घूमते समय इसके चुंबकीय ध्रुव एक बड़े वृत्त में घूमते हैं।
वॉयजर 2 मिशन, जिसने 24 जनवरी 1986 को यूरेनस के पास से उड़ान भरी थी, ने पहली बार यह जानकारी दी थी कि इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र उसकी धुरी से 59 डिग्री तक ऑफसेट है। इससे स्पष्ट होता है कि ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र उसकी भौगोलिक स्थिति से काफी अलग है, जिससे इसकी घूर्णन अवधि को मापना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
इस नवीनतम विश्लेषण में यह भी पाया गया कि चुंबकीय ध्रुवों से निकलने वाले रेडियो उत्सर्जन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पहले जो अनुमान लगाया था, वह 17 घंटे, 14 मिनट और 24 सेकंड था। अब, नए डेटा से 28 सेकंड का फर्क सामने आया है, जिससे यूरेनस की वास्तविक घूर्णन अवधि 17 घंटे, 14 मिनट और 52 सेकंड मानी जा रही है। यह भी पाया गया कि इस गणना में प्लस या माइनस 36 सेकंड का मार्जिन शामिल किया गया है।
भविष्य की खोजों के लिए एक अहम कड़ी
गैस विशाल ग्रह यूरेनस की इस सटीक जानकारी से वैज्ञानिकों को उसके वायुमंडल, वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र को समझने में नई दिशा मिलेगी। विशेष रूप से, ग्रह पर मौजूद अत्यधिक तूफानी मौसम और असामान्य घूमने की दिशा इसे एक रोचक अध्ययन का विषय बनाते हैं।
अब जबकि वैज्ञानिकों के पास इस ग्रह के दिन की सही लंबाई की जानकारी है, भविष्य में अगर मानव यूरेनस पर मिशन भेजता है, तो यह डेटा उनकी योजना और तैयारी में बेहद सहायक होगा।
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