
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह घोषणा की है कि वह 17 अप्रैल को खुले बाजार परिचालन (Open Market Operation - OMO) के तहत 40,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा। यह कदम देश की वित्तीय प्रणाली में तरलता की स्थिति को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
RBI ने साफ कहा है कि इस खरीदारी का मुख्य उद्देश्य उभरती हुई लिक्विडिटी यानी नकदी की परिस्थितियों को नियंत्रित करना है ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे और बैंकिंग प्रणाली सुचारु रूप से कार्य कर सके। इस प्रक्रिया में जिन बॉन्डों की खरीद की जाएगी, वे 2028 और 2039 के बीच मैच्योर यानी परिपक्व होंगे।
यह ध्यान देने वाली बात है कि यह खरीद पहले से घोषित 80,000 करोड़ रुपये की सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद के अतिरिक्त होगी, जिसकी घोषणा 1 अप्रैल को की गई थी। इससे साफ है कि रिजर्व बैंक अब ज्यादा सक्रिय होकर बाजार में नकदी का प्रवाह बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है।
3 अप्रैल को आयोजित OMO नीलामी में वित्तीय संस्थानों ने 2029 और 2039 के बीच परिपक्व होने वाले बॉन्ड के लिए 80,820 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। इसके बाद 8 अप्रैल को आयोजित नीलामी में 2032 और 2039 के बीच मैच्योर होने वाले बॉन्ड पर कुल 70,144 करोड़ रुपये की पेशकश की गई।
RBI ने अप्रैल महीने के दौरान चार OMO नीलामियों की योजना बनाई है जो 3, 8, 22 और 29 तारीख को आयोजित की जा रही हैं। इन सभी में 20,000 करोड़ रुपये की राशि की खरीद की जाएगी, जिससे कुल 80,000 करोड़ रुपये की राशि के बॉन्ड खरीदे जाएंगे।
इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने हाल ही में तरलता बढ़ाने के उद्देश्य से 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी बॉन्ड की खरीद दो किस्तों में (हर बार 50,000 करोड़ रुपये) की थी। साथ ही, RBI ने डॉलर-रुपया खरीद-बिक्री स्वैप नीलामी के तहत 36 महीने की अवधि के लिए 10 बिलियन डॉलर की स्वैप नीलामी भी आयोजित की थी।
इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को संतुलित बनाए रखने के लिए कई स्तरों पर काम कर रहा है। नकदी की स्थिति को बेहतर करने के लिए ये सारे कदम उठाए जा रहे हैं ताकि वित्तीय संस्थानों को पर्याप्त पूंजी मिलती रहे और अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।
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