
Trump Tariff Impact : देशभर में महंगाई से जूझ रही जनता के लिए मार्च का महीना कुछ राहत लेकर आया है। सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खुदरा महंगाई दर में हल्की गिरावट देखने को मिली है। खुदरा महंगाई मार्च में घटकर 3.34 प्रतिशत रह गई, जो कि फरवरी में 3.61 प्रतिशत थी। इस गिरावट के साथ ही खुदरा महंगाई बीते छह वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसका मुख्य कारण सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट है।
खाद्य महंगाई में भी सुधार
खाद्य पदार्थों की महंगाई दर भी घटकर 2.69 प्रतिशत पर आ गई है। फरवरी में यह दर 3.75 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल मार्च में यह 8.52 प्रतिशत पर थी। इससे साफ है कि आम आदमी की रसोई पर पड़ने वाला बोझ कुछ हद तक हल्का हुआ है।
रिजर्व बैंक की नजर खुदरा महंगाई पर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। हाल ही में RBI ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे छह प्रतिशत कर दिया है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि आगे भी महंगाई नियंत्रण में रहेगी और आम लोगों को कुछ और राहत मिलेगी।
थोक महंगाई भी नीचे आई
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। मार्च में यह घटकर 2.05 प्रतिशत हो गई, जो कि पिछले छह महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले सितंबर में यह 1.91 प्रतिशत पर थी। फरवरी में यह दर 2.38 प्रतिशत थी।
हालांकि, अगर वार्षिक आधार पर तुलना की जाए तो मार्च, 2024 में थोक महंगाई दर 0.26 प्रतिशत रही थी, जो इस बार बढ़कर 2.05 प्रतिशत हो गई है। फिर भी, कुल मिलाकर महंगाई के मोर्चे पर देश को थोड़ी राहत जरूर मिली है।
यह संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे संतुलन की ओर बढ़ रही है और नीति निर्धारकों की कोशिशें असर दिखा रही हैं। हालांकि, आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार, मौसम की स्थिति और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला जैसे कारकों का प्रभाव भी महंगाई पर पड़ेगा।
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