
Times News Hindi,Digital Desk: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज के गहरे दलदल में फंसी हुई है। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2025 तक पाकिस्तान के बिजली सेक्टर का सर्कुलर डेट 2.396 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच चुका है। जुलाई 2024 के बाद इसमें 2 अरब डॉलर की भारी वृद्धि हुई है, जिसने आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इससे न सिर्फ आम जनता बल्कि इंडस्ट्रीज भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं। इस वित्तीय संकट के बीच भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को भी होल्ड कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
पाकिस्तान के बिजली सेक्टर में लगातार बढ़ रहे कर्ज के चलते बिजली उत्पादकों के बकाया में जुलाई 2024 से मार्च 2025 तक 33 अरब रुपये की बढ़ोतरी हुई, जो कुल मिलाकर 1.633 ट्रिलियन रुपये पर पहुंच गई है। इसके अतिरिक्त, पावर होल्डिंग लिमिटेड (PHL) पर भी सरकार की गलत नीतियों के कारण 683 अरब रुपये का भारी कर्ज है। इससे बिजली कंपनियां और ईंधन सप्लायर बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इन हालात में पाकिस्तान की जनता को बिजली के आसमान छूते दामों और बढ़ती महंगाई से जूझना पड़ रहा है।
सरकारी बिजली कंपनी के-इलेक्ट्रिक पर भारी कर्ज
पाकिस्तान सरकार की बिजली कंपनी के-इलेक्ट्रिक (KE) पर 223 अरब रुपये का बकाया है, जिसमें ब्याज की रकम 186.5 अरब रुपये है। यह स्थिति पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बेहद कमजोर हो चुके हालात को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। इसके चलते सरकारी संस्थानों और प्राइवेट कंपनियों के बीच विवाद बढ़ रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को लगातार नुकसान पहुंच रहा है।
बिजली वितरण कंपनियों के नुकसान से संकट बढ़ा
पाकिस्तान की बिजली वितरण कंपनियों (Desco) के कार्य संचालन में गंभीर कमियां आर्थिक संकट को गहरा कर रही हैं। मार्च 2025 तक इन कंपनियों को 143 अरब रुपये का नुकसान हुआ है, जो पिछले साल की तुलना में 41 अरब रुपये अधिक है। इसके अलावा, कंपनियां लगभग 78 अरब रुपये की बकाया राशि की वसूली करने में भी विफल रही हैं। इन सब कारणों से सरकार की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो रही है।
पाकिस्तान की आर्थिक नीतियों और वित्तीय प्रबंधन की विफलताओं का यह स्पष्ट उदाहरण है, जो देश को और अधिक आर्थिक अस्थिरता की ओर धकेल रहा है।