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Times News Hindi,Digital Desk: सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस व्रत को साल की सभी 24 एकादशियों के बराबर पुण्य देने वाला माना जाता है। इस साल निर्जला एकादशी 6 जून 2025 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति मृत्यु के बाद सीधे भगवान विष्णु के वैकुंठ लोक को प्राप्त करता है।

6 जून को बन रहे हैं शुभ संयोग

साल 2025 की निर्जला एकादशी कई विशेष योगों के साथ आ रही है। इस दिन भद्रावास योग बन रहा है, जिसमें भद्रा पाताल लोक में होंगी। भद्रा का यह संयोग सुबह 03:31 बजे से शुरू होकर अगले दिन 4:47 बजे तक रहेगा, जो अत्यंत शुभकारी होगा। इसी दिन वरीयान योग भी बन रहा है, जो सुबह 10:14 बजे शुरू होगा। इन दोनों शुभ योगों के कारण व्रत रखने वालों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है।

क्या है निर्जला एकादशी का महत्व?

निर्जला एकादशी का उल्लेख मार्कंडेय पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। इसके अनुसार यह तिथि स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप मानी गई है। निर्जला एकादशी का कठोर व्रत रखने से भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत इतना प्रभावशाली है कि इसे करने वालों को मृत्यु के बाद यमलोक में न्याय प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ता, और सीधे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी का पंचांग (6 जून 2025):

तिथि: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी सुबह 04:48 बजे तक, उसके बाद द्वादशी

संवत्सर: विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर)

नक्षत्र: हस्त सुबह 06:33 बजे तक, फिर चित्रा नक्षत्र

योग: व्यातीपात योग सुबह 10:12 बजे तक, उसके बाद वरीयान योग

करण: वणिज दोपहर 03:32 बजे तक, उसके बाद विष्टि (भद्रा)

राहुकाल: सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक

चन्द्र राशि: कन्या राशि में रात 08:06 बजे तक, उसके बाद तुला राशि में संचार

इस शुभ मुहूर्त और विशेष योगों में व्रत-पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी।


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