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मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले में जिन निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई और जिन परिवारों ने अपने अपनों को खोया, उनके लिए अब न्याय की उम्मीद और भी मजबूत हो गई है। इस भयानक आतंकी हमले के एक मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसे अपनी हिरासत में लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम तहव्वुर राणा को लेकर गुरुवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचेगी। जैसे ही राणा भारतीय जमीन पर कदम रखेगा, उसके खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी। अब उसे अपने हर गुनाह का हिसाब देना ही होगा।

तहव्वुर राणा केस: अब तक की प्रमुख घटनाएं

9 अप्रैल 2025: अमेरिका से भारत को राणा के प्रत्यर्पण की आधिकारिक मंजूरी मिल गई। इसके बाद भारतीय एजेंसियों ने उसे लेकर भारत के लिए उड़ान भरी।

7 मार्च 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की भारत प्रत्यर्पण रोकने की याचिका को खारिज कर दिया।

13 नवंबर 2024: राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।

16 दिसंबर 2024: अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी. प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि राणा की याचिका खारिज कर दी जाए।

21 जनवरी 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिससे भारत में प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

इसके बाद अमेरिकी विदेश विभाग ने भी इस फैसले के आधार पर आगे की कार्रवाई का आकलन करना शुरू कर दिया।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार अमेरिकी प्रशासन के संपर्क में बनी रहीं। बुधवार सुबह से ही यह संकेत मिलने लगे थे कि राणा के प्रत्यर्पण से जुड़ी कानूनी औपचारिकताएं अपने अंतिम चरण में हैं और उन्हें पूरा होते ही भारत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

अदालत में राणा का बचाव: लेकिन कोई दांव नहीं चला

तहव्वुर राणा ने अदालत में खुद को भारत भेजे जाने से बचाने की हर संभव कोशिश की। उसने बिगड़ती सेहत और भारत में प्रताड़ना की आशंका को आधार बनाकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट में वह खुद को असहाय बताते हुए गिड़गिड़ाता भी नजर आया। राणा ने तर्क दिया कि भारत में उसे यातना दी जाएगी, लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके इन दावों को खारिज करते हुए भारत को प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी।

अब जबकि राणा भारत आ रहा है, तो यह 26/11 के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। वर्षों से लंबित इस प्रक्रिया के आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंचने से उम्मीद है कि अब इस आतंकवादी को उसके किए की सजा जरूर मिलेगी।


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