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Times News Hindi,Digital Desk : मार्क कार्नी एक बार फिर कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता संभालेंगे। यह उनके लिए बड़ी राजनीतिक जीत है, क्योंकि कार्नी मूलतः राजनीति के बजाय अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो के स्थान पर दो महीने पहले ही कार्नी ने कनाडा की लिबरल पार्टी का नेतृत्व संभाला था, और अब उन्होंने 2025 के चुनाव में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। हालांकि उनकी पार्टी को संसद में पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन वे गठबंधन के जरिए सरकार चलाने में सफल रहेंगे।

कौन हैं मार्क कार्नी?

मार्क कार्नी का नाम राजनीति में आने से पहले बैंकिंग और आर्थिक क्षेत्र में प्रसिद्ध था। वे 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रहे और फिर 2013 से 2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड का नेतृत्व किया। कार्नी का कनाडा के राजनीतिक इतिहास में एक अनोखा स्थान है—वे दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो बिना सांसद बने सत्ता में आए। हालांकि, इस बार उन्होंने नेपियन से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जिससे उनकी संसदीय स्थिति मजबूत हुई है।

ट्रंप फैक्टर और कनाडा की राजनीति

मार्क कार्नी की जीत के पीछे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीतियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ट्रंप ने बार-बार कनाडा पर आर्थिक दबाव बनाने और उसे अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की धमकी दी थी। कार्नी ने ऐसे माहौल में ट्रंप विरोधी स्पष्ट रुख अपनाया और इसे कनाडाई जनता का समर्थन भी मिला। उन्होंने ट्रंप को एक "बुली" बताते हुए कहा कि कनाडा किसी भी धमकी के आगे नहीं झुकेगा।

भारत के लिए क्या है उम्मीद?

मार्क कार्नी का पुनः पीएम बनना भारत-कनाडा रिश्तों के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। मार्च में सत्ता संभालते ही कार्नी ने भारत के साथ संबंध सुधारने का वादा किया था। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में खालिस्तानी मुद्दे के चलते भारत-कनाडा रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। अब कार्नी के नेतृत्व में कनाडा सरकार भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को नए सिरे से मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। भारत की प्रमुख उम्मीद यही है कि कनाडा अपने देश में भारत-विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों पर अंकुश लगाए और दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर बनाए।


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