
Times News Hindi,Digital Desk : बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का पवित्र निवास स्थान है, जिसे 'आठवां बैकुंठ' कहा जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस दिव्य स्थल पर दर्शन के लिए आते हैं। इस वर्ष 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। आइए आज हम आपको बद्रीनाथ से जुड़े उन चार रहस्यों के बारे में बताते हैं, जिनसे शायद आप अब तक अनजान हों।
1. बद्रीनाथ नाम कैसे पड़ा?
कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु गहन ध्यान में लीन थे, तभी वहां भारी बर्फबारी होने लगी, जिससे वे पूरी तरह से ढक गए। देवी लक्ष्मी अपने पति की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गईं और उन्होंने एक बेर (बद्री) वृक्ष का रूप धारण कर उनकी रक्षा की। जब भगवान विष्णु ने ध्यान पूरा किया तो देवी लक्ष्मी को बद्री पेड़ के रूप में अपनी रक्षा करते देखा और कहा, "तुमने मेरी रक्षा बद्री वृक्ष बनकर की है, इसलिए यह स्थान आज से 'बद्रीनाथ' कहलाएगा।"
2. 6 महीने तक अखंड जलता है दीपक
सर्दियों में जब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, उससे पहले एक अखंड दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि यह दीपक बिना बुझाए पूरे छह महीने तक जलता रहता है और जब कपाट दोबारा खुलते हैं तो यह दीपक वैसे ही प्रज्ज्वलित मिलता है।
3. नर-नारायण पर्वतों का रहस्य
बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों, नर और नारायण, के मध्य स्थित है। ऐसी मान्यता है कि जब ये दोनों पर्वत एक-दूसरे से मिल जाएंगे, तो बद्रीनाथ का मार्ग हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। इसके बाद भक्त यहां दर्शन नहीं कर पाएंगे और तब एक नए तीर्थ का उद्भव होगा।
4. बद्रीनाथ में शंख बजाना वर्जित
बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु की तपस्थली है, और यहां शंखनाद करने की सख्त मनाही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में शंख बजाने से पहाड़ों में कंपन पैदा हो सकता है, जिससे चट्टानों के टूटने की आशंका बनी रहती है।
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