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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 50वें दौरे पर पहुंचे, और इस बार भी उनका भाषण बनारस की आत्मा में रचा-बसा नजर आया। उन्होंने काशी को न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि उसके बदलते स्वरूप और विकास की झलक भी दी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में युवाओं, बुजुर्गों, किसानों और सामाजिक सुधारकों का उल्लेख किया, और साथ ही भोजपुरी भाषा को भी खास जगह दी। उनके भाषण की स्थानीयता और जमीनी जुड़ाव ने लोगों को गहराई से छुआ।

भाषण में भोजपुरी की मिठास

पीएम मोदी ने अपने पूरे भाषण में भोजपुरी के शब्दों और मुहावरों का खुलकर प्रयोग किया। इससे उनकी बातें न केवल ज्यादा प्रभावशाली लगीं, बल्कि जनता से उनका जुड़ाव भी और मजबूत हुआ। उन्होंने कहा:

"पहले छोटे-छोटे त्योहारों में भी जाम लग जाता था। किसी को चुनार से शिवपुरी जाना होता, तो कई घंटे लग जाते थे। अब फुलवरिया का फ्लाइओवर बन चुका है।"

इसी तरह उन्होंने कहा:

"गाजीपुर जाना पहले घंटों का काम था। अब गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़—हर जगह जाने का रास्ता चौड़ा हो गया है।"

प्रधानमंत्री ने भिखारीपुर और मंडुवाड़ी क्षेत्र में फ्लाइओवर की पुरानी मांग का भी जिक्र किया और बताया कि अब वह भी पूरी हो रही है।

बनारस, बहुत बदल गया है

पीएम मोदी ने काशी के विकास को लेकर कहा कि अब जो भी बनारस आता है, वह यहां की सुविधाओं की तारीफ किए बिना नहीं जाता। उन्होंने बताया कि हर दिन लाखों लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन और मां गंगा में स्नान के लिए बनारस आते हैं। हर कोई कहता है कि बनारस पहले से बहुत बदल चुका है।

जन सेवा के संकल्प और बुजुर्गों के लिए सम्मान

प्रधानमंत्री ने अपने तीसरी बार सांसद बनने के बाद के संकल्पों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि सरकार बुजुर्गों के इलाज के लिए पूरी तरह समर्पित है। आयुष्मान वय वंदना योजना के माध्यम से अब बुजुर्गों को इलाज के लिए न जमीन बेचनी पड़ेगी, न कर्ज लेना पड़ेगा और न ही दर-दर भटकना पड़ेगा। अब सरकार खुद उनके इलाज का खर्च उठाएगी।

प्रधानमंत्री का यह भाषण सिर्फ विकास की बात नहीं कर रहा था, यह एक गहरी भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक था—एक ऐसा जुड़ाव जो सिर्फ नेता और जनता के बीच नहीं, बल्कि एक सेवक और अपने क्षेत्र के प्रति जिम्मेदार नागरिक के रूप में नजर आया।


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