
Times News Hindi,Digital Desk : भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुक्रवार को बड़ी छलांग लगाते हुए लगभग ढाई साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को रुपया 71 पैसे मजबूत होकर 83.78 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह स्तर 17 अक्टूबर 2024 के बाद पहली बार देखा गया है, जिससे भारतीय बाजार में राहत की उम्मीद जगी है।
रुपये में तेजी के मुख्य कारणों में विदेशी निवेशकों की भारी खरीदारी और अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं को लेकर बढ़ती उम्मीदें शामिल हैं। पिछले महीने रुपया फरवरी के रिकॉर्ड निचले स्तर (87.95 प्रति डॉलर) से उबरकर मार्च में 2% और अप्रैल में 1.16% मजबूत हुआ था।
विदेशी निवेश और अमेरिका से डील की उम्मीद
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, शेयर और डेट मार्केट में विदेशी पूंजी प्रवाह के साथ-साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर सकारात्मक बयान ने रुपये को मजबूती प्रदान की है। उल्लेखनीय यह भी रहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बार डॉलर खरीदने में सक्रियता नहीं दिखाई, जबकि मार्च 2025 तक उसके पास लगभग $84 अरब की शॉर्ट पोजिशन थी।
कच्चे तेल की कीमतों में हलचल
अमेरिका द्वारा ईरान पर सेकंडरी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के बाद कच्चे तेल के दामों में वृद्धि देखी गई। ब्रेंट क्रूड 0.79% बढ़कर $62.62 प्रति बैरल और WTI क्रूड 0.86% बढ़कर $59.75 प्रति बैरल पर पहुंच गया। हालांकि मजबूत रुपया तेल आयात की लागत को कम कर सकता है, जिससे तेल की कीमतों में नरमी आ सकती है।
रुपये की मजबूती से क्या हो सकता है सस्ता?
सामान/सेक्टर | कीमतें कम होने का कारण |
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पेट्रोल-डीजल | तेल डॉलर में खरीदा जाता है; मजबूत रुपया आयात सस्ता बनाएगा |
मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स | बड़े पैमाने पर आयात होता है, आयात लागत घटेगी |
दवाओं के कच्चे माल (API) | फार्मा सेक्टर के लिए आयात लागत कम होगी |
ऑटो पार्ट्स | विदेश से आयातित पुर्जों की लागत कम होगी |
सोना-चांदी | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर में ट्रेड होता है, मजबूत रुपया कीमतों को नियंत्रित करेगा |
विदेशी ई-कॉमर्स सामान | Amazon, Aliexpress आदि से आने वाला आयातित सामान सस्ता होगा |
हालांकि, इन वस्तुओं की कीमतें तुरंत नहीं गिरेंगी क्योंकि कंपनियों को पहले पुराने स्टॉक का निपटान करना होता है। साथ ही, अगर कच्चे तेल के दाम और सरकारी टैक्स बढ़ते हैं, तो रुपये की मजबूती का असर सीमित हो सकता है। वहीं, डॉलर के फिर से मजबूत होने पर विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।
चुनौतियां बरकरार
पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे पर तनाव और डॉलर इंडेक्स में संभावित बढ़ोतरी जैसे कारण अभी भी अस्थिरता का कारण बन सकते हैं। डॉलर इंडेक्स फिलहाल 100.02 के आसपास है, जो नवंबर 2022 के बाद सबसे कमजोर स्तर पर है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह 102 तक फिर से बढ़ सकता है।
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