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भारत तेजी से वैश्विक तकनीकी विकास के केंद्र के रूप में उभर रहा है। शुक्रवार को आयोजित 'ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट' के दौरान विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल तकनीकी नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी प्रोत्साहित कर रहा है, खासकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के क्षेत्र में।

भारत की मेजबानी की सराहना

ऑस्ट्रेलिया के साइबर अफेयर्स और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के राजदूत ब्रेंडन डॉवलिंग ने समिट के आयोजन के लिए भारत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वैश्विक स्तर पर नीतिगत चर्चाओं और तकनीकी दिशा को निर्धारित करने वाला एक अहम मंच बन गया है। यह मंच नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और थिंक टैंकों को एक साथ लाकर तकनीक और भू-राजनीति के बीच के गहरे संबंधों पर विचार-विमर्श का अवसर देता है।

भारत की टेक्नोलॉजी में मजबूत पकड़

ब्रेंडन डॉवलिंग ने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी आज के समय में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि की नींव बन चुकी है। भारत का कुशल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) वर्कफोर्स और सशक्त सॉफ्टवेयर उद्योग इस दिशा में इसे एक अहम वैश्विक भागीदार बनाता है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक मजबूत द्विपक्षीय तकनीकी साझेदारी के निर्माण की संभावनाओं पर जोर दिया, जो दोनों देशों की पूरक क्षमताओं के आधार पर आगे बढ़ सकती है।

तकनीकी प्रगति में साझेदारी की आवश्यकता

स्वीडन के प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ निदेशक जॉन साइमनसन ने भी तकनीकी क्षेत्र में सहयोग की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश उभरती तकनीकों को अकेले विकसित नहीं किया जा सकता। इसके लिए देशों, उद्योगों, शिक्षाविदों और सार्वजनिक संस्थानों के बीच सहयोग जरूरी है। समिट को उन्होंने एक ऐसा मंच बताया, जहां साझेदारी के जरिए साझा समाधान और संयुक्त तकनीकी परियोजनाएं विकसित की जा सकती हैं।

भारत का समावेशी दृष्टिकोण

यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में एशिया कार्यक्रम की निदेशक जानका ओर्टेल ने भारत के समावेशी दृष्टिकोण की सराहना की। खासकर ग्लोबल साउथ, यूरोप और अमेरिका के साथ भारत की भागीदारी को उन्होंने उल्लेखनीय बताया। उनके अनुसार, यह समिट उन चुनौतियों पर चर्चा के लिए एक आवश्यक मंच है, जो नई और उभरती हुई तकनीकों के कारण सामने आ रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक प्रभावशाली एजेंडा तैयार किया है, जो यूरोप और अन्य देशों के साथ सहयोग को और भी मजबूत बना सकता है।

इस चर्चा से यह स्पष्ट है कि भारत तकनीकी नेतृत्व के क्षेत्र में एक मजबूत दावेदार बनकर उभरा है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी मानते हैं कि तकनीकी विकास के वैश्विक नक्शे पर भारत की भूमिका अब केवल भागीदारी तक सीमित नहीं, बल्कि नेतृत्वकारी है।


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