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गृह मंत्री अमित शाह ने भारत की दो महान सांस्कृतिक रचनाओं—‘श्रीमद्भगवद्गीता’ और भरत मुनि के ‘नाट्यशास्त्र’—को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किए जाने पर गहरा गर्व और प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि "दुनिया अब भारत के ज्ञान को संरक्षित कर रही है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि गीता और नाट्यशास्त्र को इस वैश्विक मंच पर मान्यता मिली है। ये दोनों ग्रंथ भारत के प्राचीन ज्ञान को प्रतिबिंबित करते हैं, जो अनादिकाल से ही मानवता को बेहतर जीवन की ओर प्रेरित करता रहा है।"

यूनेस्को की स्मृति सूची में भारत की अमूल्य कृतियां

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, "यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और कलात्मक प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने जैसा है।"

उन्होंने यह भी कहा कि ये ग्रंथ केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि दार्शनिक और सौंदर्यबोध की दृष्टि से भी गहरे हैं। इन रचनाओं ने न केवल भारत के विश्वदृष्टिकोण को आकार दिया, बल्कि हमारी सोच, भावना, जीवनशैली और अभिव्यक्ति की शैली को भी प्रभावित किया है।

इस नए समावेश के साथ अब भारत के 14 अभिलेख इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में दर्ज हो चुके हैं, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रमाण हैं।

क्या है 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर'?

‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ यूनेस्को द्वारा शुरू किया गया एक विशेष कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य विश्व के महत्वपूर्ण दस्तावेजों और अभिलेखों को संरक्षित करना और उन्हें जनसामान्य की पहुंच में लाना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1992 में हुई थी और तब से यह कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत को संजोने का महत्वपूर्ण माध्यम बना हुआ है।

हर साल 18 अप्रैल को ‘विश्व धरोहर दिवस’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण को बढ़ावा देना होता है। यूनेस्को द्वारा 1972 में आयोजित विश्व धरोहर सम्मेलन ने इस दिशा में वैश्विक सहयोग की नींव रखी थी।

गीता और नाट्यशास्त्र का इस सूची में शामिल होना केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक उपलब्धि है। यह न केवल ज्ञान और कला की विरासत को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे भारतीय परंपरा ने हमेशा से जीवन को सुंदर और सार्थक बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।


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