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Waqf Amendment Act SC Hearing : वक्फ एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक और निर्णायक सुनवाई होनी है, जो कई संवेदनशील और कानूनी रूप से जटिल मुद्दों पर प्रकाश डालेगी। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और मुस्लिम पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। अब अदालत से यह उम्मीद की जा रही है कि वह वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन, जिला कलेक्टर की शक्तियों और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति जैसे अहम विषयों पर कोई अंतरिम आदेश जारी कर सकती है।

वक्फ संपत्तियों का दर्जा और डिनोटिफिकेशन का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट में शामिल उस प्रावधान पर सवाल उठाया है जिसमें "वक्फ बाय यूजर" यानी परंपरागत रूप से उपयोग में लाई जा रही संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की बात कही गई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने यह स्पष्ट किया कि ऐतिहासिक और प्राचीन मस्जिदों या वक्फ संपत्तियों के पास पंजीकरण के दस्तावेज न होने का यह मतलब नहीं कि उनका वक्फ का दर्जा मान्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले से मान्यता प्राप्त वक्फ संपत्तियों का दर्जा बदलना भविष्य में गंभीर कानूनी उलझनों का कारण बन सकता है। ऐसे में, सुप्रीम कोर्ट इस दिशा में एक अस्थायी रोक लगाने पर विचार कर रहा है।

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति पर विवाद

नए वक्फ कानून में एक अन्य विवादास्पद बिंदु यह है कि इसमें वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। अदालत ने इस पर गहरी आपत्ति जताई और इसे धार्मिक स्वायत्तता के सिद्धांत के विरुद्ध बताया। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र से पूछा कि क्या किसी हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति होगी? अदालत का झुकाव इस दिशा में दिखाई दिया कि वक्फ बोर्ड और काउंसिल के स्थायी सदस्य केवल मुस्लिम ही हों, जबकि गैर-मुस्लिमों को केवल विशेष परिस्थितियों में, उदाहरण के तौर पर 'एक्स-ऑफिशियो' के रूप में शामिल किया जा सकता है। इस बिंदु पर भी अदालत कोई अंतरिम आदेश दे सकती है।

जिला कलेक्टर को दी गई शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता

नए एक्ट के तहत जिला कलेक्टर को जो शक्तियां दी गई हैं, उस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई। कानून कहता है कि अगर कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी घोषित करता है, तो वह संपत्ति अदालत के अंतिम निर्णय तक वक्फ मानी नहीं जाएगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को जांच का अधिकार तो है, लेकिन अंतिम निर्णय आने तक किसी संपत्ति के वक्फ दर्जे को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की नजर में यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, और इसलिए इस पर भी अंतरिम रोक की संभावना जताई जा रही है।

आज की सुनवाई पर टिकी हैं सबकी निगाहें

गुरुवार को दोपहर 2 बजे से इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से बहस शुरू होगी। याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज वकील अपनी बात रखेंगे। वहीं केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश करेंगे। यह सुनवाई न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि देश की वक्फ संपत्तियों से जुड़ी सामाजिक संरचना को भी प्रभावित कर सकती है।


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