
Vaishakh Amavasya 2025 Date : वैशाख अमावस्या 2025 पर पितृ तर्पण, पिंडदान, श्रीमद्भागवत पाठ और शनि जयंती का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, हनुमान पूजा और सत्तू से पिंडदान करने से पितृदोष शांति और सुख-समृद्धि मिलती है.
1. वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि को अत्यंत पवित्र माना गया है, खासकर जब यह वैशाख मास में आती है। यह दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनके लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध करने के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। इस तिथि पर किए गए कर्मकांड पितरों को संतुष्ट करते हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद लाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके जल अर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और पारिवारिक खुशहाली का मार्ग भी है।
अगर आप पितृ दोष से पीड़ित हैं या आपको जीवन में लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, तो वैशाख अमावस्या पर पिंडदान और श्राद्ध करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यह दिन एक अवसर है जब आप अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कुछ कर सकते हैं और उनसे जीवन को सुंदर बनाने की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, पितृ शांति मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत शुभ और प्रभावी माना गया है।
2. वैशाख अमावस्या 2025 की तिथि और समय
वर्ष 2025 में वैशाख अमावस्या की शुरुआत 27 अप्रैल को सुबह 4:49 बजे से हो रही है और यह 28 अप्रैल को रात 1:00 बजे तक रहेगी। इस अवधि में विशेष रूप से 27 अप्रैल को व्रत, स्नान और दान करना सबसे शुभ माना गया है।
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। अगर आप तीर्थ स्थान नहीं जा सकते, तो घर पर ही पवित्र जल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, जरूरतमंदों को वस्त्र और अन्न का दान करें। यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि, पितरों की कृपा, और पुण्य अर्जित करने का सुअवसर होता है।
3. पितृ दोष निवारण के लिए विशेष स्तोत्र का पाठ
पितृ दोष निवारण के लिए विशेष मंत्रों और स्तोत्रों का जाप अत्यंत प्रभावी होता है। इस दिन नीचे दिए गए पितृ निवारण स्तोत्र का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है:
"अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
...
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।"
यह स्तोत्र न केवल पितरों को प्रसन्न करता है बल्कि आपकी आत्मा को भी शुद्ध करता है। ध्यान, जप और भक्ति भाव से इसका पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और पितृ दोष के कारण जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
4. पितृ कवच – नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का साधन
पितृ कवच भी एक अत्यंत प्रभावशाली रचना है जो नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। अमावस्या के दिन इसका पाठ करने से न केवल पितरों की कृपा मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
"कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
...
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।"
यह कवच आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है और बाहरी दुष्प्रभावों से रक्षा करता है। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए इस कवच का पाठ भी विशेष रूप से उपयोगी होता है।
5. वैशाख अमावस्या पर सत्तू से पिंडदान का महत्व
इस दिन पिंडदान में सत्तू का प्रयोग अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, सत्तू से बने पिंड पितरों को अत्यधिक प्रिय होते हैं। यह पिंड विशेष रूप से आत्मा की तृप्ति के लिए अर्पित किए जाते हैं।
सत्तू का उपयोग करते समय उसमें तिल, कुश, और गंगाजल मिलाकर पिंड तैयार किए जाते हैं। इन्हें ब्राह्मण को दान करने या पवित्र स्थान पर जल में प्रवाहित करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। जब पितर संतुष्ट होते हैं, तो जीवन की बाधाएं स्वतः दूर होने लगती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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