
Times News Hindi,Digital Desk : स्वदेशी आंदोलन, जो कभी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम हिस्सा था, आज 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को पूरा करने का मजबूत आधार बन रहा है। यह आंदोलन आर्थिक आत्मनिर्भरता ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान को भी बढ़ावा देता है। हर भारतीय द्वारा स्वदेशी उत्पादों को अपनाना जरूरी है, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा मजबूत होती है।
पतंजलि: स्वदेशी का नया चेहरा
भारतीय उत्पादों को अपनाना स्वदेशी आंदोलन का मूल विचार है। पतंजलि जैसी भारतीय कंपनियां इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। पिछले 15 वर्षों में, पतंजलि ने साबुन, तेल, खाद्य पदार्थ और आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए 'मेड इन इंडिया' की पहचान को हर भारतीय घर तक पहुंचाया है। इससे स्वदेशी का संदेश मजबूत हुआ है।
वैश्विक बाजार में भारतीय कंपनियों का जलवा
टाटा, रिलायंस और अमूल जैसी प्रतिष्ठित भारतीय कंपनियां भी स्वदेशी आंदोलन को मजबूती दे रही हैं। टाटा की कारें और स्टील उत्पाद, रिलायंस का डिजिटल प्लेटफॉर्म 'जियो', और अमूल के डेयरी उत्पाद न केवल भारतीय बाजार में सफलता हासिल कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर भारतीयों से स्वदेशी अपनाने की अपील की है। उन्होंने "लोकल फॉर वोकल" के मंत्र के साथ भारतीय उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया है, क्योंकि यही आत्मनिर्भर भारत की नींव है। उन्होंने प्राकृतिक और रसायन मुक्त खेती के जरिए भी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित किया है। उनकी यह पहल आर्थिक ही नहीं, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
हर भारतीय की जिम्मेदारी
स्वदेशी उत्पाद अपनाने से विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता घटती है, और स्थानीय कारीगरों, किसानों और उद्यमियों को मजबूती मिलती है। हर भारतीय के लिए यह जरूरी है कि वे इस आंदोलन का सक्रिय हिस्सा बनें। स्वदेशी उत्पादों को अपनाना केवल खरीदारी तक सीमित निर्णय नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में बढ़ाया गया सार्थक कदम है।
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