img

भारत सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। सरकार का कहना है कि यह कदम आम उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं डालेगा, लेकिन इस घोषणा के बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। चलिए, इन सभी सवालों के जवाब सरल भाषा में समझते हैं।

1. पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी क्यों बढ़ाई गई?

सरकार ने यह निर्णय ऐसे समय पर लिया है जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इसके अलावा, दिसंबर 2024 में पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाया गया विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स भी हटा लिया गया था। इन दोनों कारणों से सरकार को लगा कि अब उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी करने का सही समय है।

इस कदम का मुख्य उद्देश्य है सरकारी राजस्व में कमी की भरपाई करना, खासतौर पर घरेलू रसोई गैस (LPG) पर दी जा रही सब्सिडी की लागत को संतुलित करना। 2025 के वित्त वर्ष में तेल कंपनियों को LPG पर करीब ₹42,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। पेट्रोल-डीजल पर ₹2 की एक्साइज ड्यूटी वृद्धि और एलपीजी सिलेंडर पर ₹50 की बढ़ोतरी से यह नुकसान प्रति सिलेंडर ₹250 से घटाकर ₹200 तक लाया जा सकेगा।

2. अब एक्साइज ड्यूटी कितनी हो गई है?

नई दरें 8 अप्रैल 2025 से लागू हो गई हैं। इसके अनुसार:

पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी: ₹11 से बढ़कर ₹13 प्रति लीटर हो गई है।

डीजल पर एक्साइज ड्यूटी: ₹8 से बढ़कर ₹10 प्रति लीटर कर दी गई है।

यह बढ़ोतरी केंद्र सरकार द्वारा सीधे तौर पर लागू की गई है, ताकि जरूरी विकास परियोजनाओं और सब्सिडी लागत की भरपाई की जा सके।

3. क्या इस वृद्धि से पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें बढ़ेंगी?

सरकार ने साफ कहा है कि इस वृद्धि का सीधा असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा। यानी पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में अभी कोई बदलाव नहीं होगा। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां (जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) इस वृद्धि को अपने स्तर पर संभालेंगी।

असल में, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल कम हैं, इसलिए यह संभावना है कि कंपनियां इस बढ़े हुए शुल्क को खुद ही समायोजित कर लें। इससे खुदरा कीमतों पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी यह स्पष्ट किया है कि जब तक कच्चे तेल की कीमतें $65 प्रति बैरल से नीचे हैं, तब तक उपभोक्ताओं को राहत मिलती रहेगी।

4. सरकार इस अतिरिक्त पैसे का उपयोग कहां करेगी?

सरकार इस अतिरिक्त राजस्व का इस्तेमाल मुख्यतः दो कामों के लिए करेगी:

तेल कंपनियों को LPG पर हुई हानि की भरपाई: जैसा कि पहले बताया गया, तेल कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। यह पैसा उस घाटे को कम करने में मदद करेगा।

बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश: सरकार सड़क, रेलवे, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं में निवेश करती है। यह पैसा उन योजनाओं में लगाया जा सकता है ताकि आर्थिक विकास की गति बनी रहे।

इस तरह, यह फैसला राजस्व संतुलन और विकास की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है।

5. डीलरों का मार्जिन या कमीशन इस फैसले से कैसे प्रभावित होगा?

डीलरों को मिलने वाला मार्जिन यानी कमीशन, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा तय किया जाता है। अभी तक किसी भी तरह के बदलाव की घोषणा नहीं हुई है। चूंकि खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हो रहा, इसलिए डीलरों को मिलने वाले कमीशन पर भी असर नहीं पड़ेगा।

हालांकि, अगर भविष्य में खुदरा कीमतें बढ़ती हैं या डीलर मार्जिन की समीक्षा होती है, तो बदलाव संभव हो सकता है, लेकिन अभी के लिए सब कुछ यथावत है।


Read More:
Gold Price MCX: क्या सोना फिर बनेगा सस्ता? जानें क्यों गिर सकता है भाव 56,000 तक