
Waqf Amendment Bill : वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है। डीएमके (DMK) ने भी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी का कहना है कि यह कानून तमिलनाडु के लगभग 50 लाख मुसलमानों और पूरे देश के करीब 20 करोड़ मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
तमिलनाडु विधानसभा ने भी इस कानून का विरोध जताते हुए 27 मार्च को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल को वापस लेने की अपील की गई थी। यह प्रस्ताव तब पारित किया गया जब जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर गौर किए बिना ही विधेयक पारित कर दिया गया।
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
डीएमके के अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। वह इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक करार दे रहे हैं।
अब तक इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 13 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।
ये प्रमुख संगठन और व्यक्ति भी कोर्ट पहुंचे
मोहम्मद जावेद (कांग्रेस सांसद) – पहली याचिका दायर करने वाले
असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM नेता)
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एक एनजीओ)
अमानतुल्लाह खान (आप नेता)
मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा-ए-हिंद)
समस्थ केरल जमीयतुल उलेमा
तैय्यब खान सलमानी (कानून के छात्र)
अंजुम कादरी (सामाजिक कार्यकर्ता)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)
ए राजा के माध्यम से DMK
इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस सांसद)
मणिपुर से भी विरोध की आवाज़
मणिपुर के विधायक शेख नुरूल हसन, जो नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) से हैं, ने भी सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि वह इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने इसे मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की ओर से वकील एमआर शमशाद ने कहा कि बोर्ड शुरू से ही इस संशोधन का विरोध करता रहा है। जेपीसी के समक्ष भी उन्होंने अपनी बात रखी थी। उनका कहना है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है। साथ ही, धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप का आरोप भी लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों की निगरानी के लिए गठित सेंट्रल वक्फ काउंसिल में पहले मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाता था, लेकिन इस नए कानून के जरिए उस प्रणाली को भी प्रभावित किया गया है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस कानून को मुसलमानों के हित में बताया है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया गया है।
--Advertisement--