
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह लगातार गांधी परिवार के खिलाफ साजिशें रच रही है। उन्होंने शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र सरकार राजनीतिक द्वेष के तहत केंद्रीय एजेंसियों जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दुरुपयोग कर रही है। गहलोत के अनुसार, इन एजेंसियों के जरिये झूठे और मनगढ़ंत मामले तैयार किए जा रहे हैं ताकि विपक्ष की आवाज को दबाया जा सके।
नेशनल हेराल्ड का इतिहास और भाजपा का रुख
गहलोत ने नेशनल हेराल्ड अखबार का जिक्र करते हुए कहा कि इस अखबार की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी और इसका देश की आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने इस अखबार को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसे लेकर भी गलत तरीके से आरोप मढ़ रही है। गहलोत का कहना है कि 11 साल बाद ईडी द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी को चार्जशीट करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और यह साफ दिखाता है कि भाजपा विपक्षी दलों को दुश्मन की तरह देख रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
झूठे घोटाले और एजेंसियों का राजनीतिक इस्तेमाल
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश की विरासत को संजोकर रखा है और गांधी परिवार का स्वतंत्रता आंदोलन में अमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले में 5,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि इस अखबार से कोई भी हितधारक एक रुपये का लाभ नहीं उठा सकता। उनका कहना था कि जिस तरह से इलेक्ट्रॉल बॉन्ड मामले में भी केंद्र सरकार ने विपक्ष को निशाना बनाया, वैसा ही रवैया अब फिर अपनाया जा रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना रुख स्पष्ट किया था, जिसे भाजपा को नहीं भूलना चाहिए।
भ्रष्टाचार और भाजपा की "वॉशिंग मशीन" नीति
गहलोत ने आरोप लगाया कि अगर कोई भ्रष्ट नेता भाजपा में शामिल हो जाता है, तो वह जैसे भाजपा की "वॉशिंग मशीन" में धुलकर साफ हो जाता है। उनका इशारा इस ओर था कि भाजपा में शामिल होते ही पुराने मामलों को दबा दिया जाता है या खत्म कर दिया जाता है। उन्होंने राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान चुनाव आयोग पर दिए गए बयान का भी समर्थन किया। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार कभी भी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेताओं की कुर्बानी का जिक्र नहीं करती, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर दी।