
Times News Hindi,Digital Desk : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए हैं। 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले जा चुके हैं। वहीं, 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए जगह-जगह कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं और लगभग 2700 बसों का संचालन सुनिश्चित किया गया है।
सनातन धर्म में चारधाम यात्रा का विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित इस पवित्र यात्रा की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं। आइए जानते हैं इन धामों से जुड़ी विशेष कहानियां:
केदारनाथ धाम
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव पांडवों की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन देकर उनके पापों से मुक्ति दिलाई थी। इस घटना के बाद भगवान शिव बैल की पीठ की आकृति के रूप में केदारनाथ में विराजित हुए। तब से ही इस धाम में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है।
बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के नर-नारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिर में अखंड ज्योति लगातार प्रज्ज्वलित रहती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु साल के छह महीने योग निद्रा में रहते हैं और शेष छह महीने जागृत रहते हैं।
गंगोत्री धाम
मान्यता है कि भगवान राम के पूर्वज राजा भागीरथ ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा नदी को धरती पर अवतरित किया था। यही वजह है कि यह स्थल बेहद पवित्र माना जाता है।
यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री धाम चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है, जो उत्तरकाशी में स्थित है। यहां यमुना नदी के किनारे मां यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जिसकी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है।
यात्रा का महत्व
मान्यता है कि चारधाम यात्रा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को आध्यात्मिक ज्ञान तो मिलता ही है, साथ ही वे भारत के विविध संस्कृति, भाषा, इतिहास और परंपराओं से भी परिचित होते हैं।