
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज तमिलनाडु के दौरे पर हैं, और उनके इस दौरे से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रदेश संगठन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य इकाई ने प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों के चुनाव की घोषणा की है, और इसके लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रक्रिया के तहत कुछ सख्त शर्तें भी तय की गई हैं – जैसे कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आवेदन वही कर सकता है जो पार्टी का कम से कम दस वर्षों से प्राथमिक सदस्य हो।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष एम. चक्रवर्ती को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। अध्यक्ष पद का परिणाम 12 अप्रैल को घोषित किया जाएगा। यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई को हटाने की चर्चाएं तेज़ हैं।
अन्नामलाई का बयान: क्या वो दौड़ से बाहर हैं?
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने हाल ही में कहा कि इस संबंध में पार्टी 11 अप्रैल को औपचारिक घोषणा करेगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह इस पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं। जब पत्रकारों ने उनसे नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सवाल किया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “कल आपको औपचारिक जानकारी मिल जाएगी। अभी बस इतना कहूंगा कि अमित शाह जी आज रात चेन्नई आ रहे हैं और कल तमिलनाडु की राजनीतिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे।”
कौन-कौन हैं अध्यक्ष पद की दौड़ में?
बीजेपी के भीतर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं। नायनार नागेंद्रन को सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, लेकिन उन्होंने खुद इस दौड़ से दूरी बना ली है क्योंकि वह पार्टी की 10 साल की सदस्यता की शर्त को पूरा नहीं करते। नागेंद्रन 2017 में एआईएडीएमके छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।
इसी तरह तमिलसाई सुंदरराजन और वानति श्रीनिवासन के नाम भी इस रेस में चर्चा में हैं, लेकिन 10 साल की सदस्यता की बाध्यता कई वरिष्ठ नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। यह भी अहम है कि जब के. अन्नामलाई को 2021 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब ऐसी कोई शर्त नहीं थी। वह बीजेपी में शामिल होने के महज 11 महीने बाद ही प्रदेश अध्यक्ष बन गए थे।
नई खोज: ऐसा अध्यक्ष जो आरएसएस और एआईएडीएमके से जुड़ाव रखता हो
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी अब एक ऐसे नेता की तलाश कर रही है जिसका संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) दोनों से अच्छा हो। हालांकि, पार्टी द्वारा लगाई गई कठोर शर्तों ने अन्नामलाई, नागेंद्रन और अन्य दिग्गज नेताओं को दौड़ से बाहर कर दिया है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि अन्नामलाई के ताज़ा बयान ने पूरे मामले में नया मोड़ ला दिया है। पहले जहां तीन नामों को प्रमुख दावेदार माना जा रहा था, वहीं अब पार्टी की स्थिति फिर से असमंजस में नज़र आ रही है।
बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन की संभावनाएं: क्या होगा समझौता?
बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच संभावित गठबंधन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। इन दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। एआईएडीएमके के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पाडी के. पलानीस्वामी ने हाल ही में दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी। इसी मुलाकात के बाद शाह के चेन्नई दौरे की योजना बनी।
उम्मीद की जा रही है कि अमित शाह इस यात्रा के दौरान गठबंधन को अंतिम रूप देने से पहले तमिलनाडु बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करेंगे। गुरुवार को चेन्नई पहुंचने पर बीजेपी के राष्ट्रीय सह प्रभारी डॉ. पोंगुलेटी सुधाकर रेड्डी और अन्य पार्टी नेताओं ने उनका हवाई अड्डे पर स्वागत किया।
क्या एआईएडीएमके अन्नामलाई को हटाना चाहती है?
यह चर्चा तब और तेज हो गई जब यह सामने आया कि एआईएडीएमके, गठबंधन के लिए अन्नामलाई को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने या उनकी भूमिका को सीमित करने की मांग कर रही है। अन्नामलाई को दोनों दलों के गठबंधन में प्रमुख रोड़ा माना जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भी यही मुद्दा उठा था, जब एआईएडीएमके ने अन्नामलाई को पद से हटाने की मांग की थी, लेकिन बीजेपी ने उस समय यह शर्त मानने से इनकार कर दिया था।
बीजेपी की रणनीति और अन्नामलाई का प्रभाव
बीजेपी ने 2021 के विधानसभा चुनावों में कई दलों के साथ गठबंधन किया था, जिसमें एआईएडीएमके भी शामिल थी। उस चुनाव में बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं, साथ ही 2.62 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। उस समय अन्नामलाई ही प्रदेश अध्यक्ष थे।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन नहीं हो सका, लेकिन बीजेपी ने अकेले 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और 11.24 प्रतिशत वोट हासिल किए, हालांकि कोई सीट नहीं जीत पाई।
इसके बावजूद, अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी ने तीन सालों में वोट प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि की है। यह बात शीर्ष नेतृत्व के लिए भी अहम है, और शायद यही वजह है कि पार्टी अब तक अन्नामलाई को हटाने पर कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है।