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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हालिया हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया है कि वक्फ संपत्तियों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं की संलिप्तता है, जिसके चलते कानून व्यवस्था की अनदेखी हो रही है और सरकार की शह पर हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है।

“ममता बनर्जी की मर्जी के बिना नहीं रुक सकती हिंसा”

एनडीटीवी से खास बातचीत में सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि जब तक ममता बनर्जी खुद न चाहें, तब तक राज्य में हिंसा रुकना मुश्किल है। उनका कहना है कि यह सब मुख्यमंत्री की निगरानी में हो रहा है और इसके जरिए वह अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं। बीजेपी नेता ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वक्फ की जिन संपत्तियों पर विवाद है, वहां टीएमसी के नेताओं का सीधा प्रभाव और दखल है।

टीएमसी के नेताओं पर वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का आरोप

मजूमदार ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में कोलकाता सहित कई जगहों पर वक्फ बोर्ड की जमीनों पर टीएमसी के प्रभावशाली नेताओं का कब्जा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह कब्जा ही हिंसा की जड़ है और सरकार की चुप्पी या निष्क्रियता इसी वजह से है।

बीजेपी पर ध्रुवीकरण के आरोपों को किया खारिज

बीजेपी पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करती है। इस पर मजूमदार ने कहा कि यह आरोप सरासर गलत है। उनका तर्क है कि अगर कोई ध्रुवीकरण हो रहा है, तो उसका फायदा बीजेपी को नहीं बल्कि टीएमसी को होता है। उन्होंने यह दावा भी किया कि राज्य में 100 प्रतिशत मुस्लिमों का एकजुट मतदान होता है, जबकि हिंदू वोटों में विभाजन बना रहता है।

हिंसा मुस्लिम बहुल इलाकों तक सीमित: मजूमदार

बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि हालिया दंगे खास तौर पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही हुए हैं, जबकि हिंदू बहुल इलाकों में किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जिन इलाकों में हिंसा हो रही है, वहां टीएमसी के सांसद और विधायक सक्रिय हैं, जो स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश नहीं कर रहे।

केंद्रीय बलों को रोकने के आरोप

सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दंगे रोकने के लिए भेजे गए केंद्रीय बलों को राज्य सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कई इलाकों में केंद्रीय बलों को जाने से रोका गया और राज्य सरकार के इस दावे को गलत ठहराया कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ के जवानों को दंगाइयों ने घेर लिया था, जो इस बात का सबूत है कि हिंसा अभी भी जारी है।

बीएसएफ की तैनाती और इंटरनेट बंद

स्थिति को काबू में लाने के लिए केंद्र सरकार ने सक्रियता दिखाई है। मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम जिलों में एहतियातन इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं। इसके अलावा, लगभग 300 बीएसएफ जवानों की तैनाती की गई है और पांच अतिरिक्त कंपनियां भी भेजी गई हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है।


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