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Times News Hindi,Digital Desk: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जल्द ही फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग से जुड़े कुछ अहम नियमों में बड़ा बदलाव कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, सेबी 7 मई को अपनी महत्वपूर्ण बैठक में F&O बाजार के लिए प्रस्तावित दो महत्वपूर्ण नियमों पर फैसला ले सकता है। ये नियम इंडेक्स ऑप्शंस की ओपन इंटरेस्ट लिमिट और डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी डेट से संबंधित हैं।

सेबी की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी इन प्रस्तावों पर चर्चा करेगी, जिसमें स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर्स, इंडस्ट्री एसोसिएशंस, डिपॉजिटरीज और सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं। बैठक में सहमति बनने पर सेबी जल्द ही इन नियमों को लेकर फाइनल सर्कुलर जारी कर सकता है।

क्या है प्रस्ताव?

1. इंडेक्स ऑप्शंस की लिमिट

फरवरी 2025 के कंसल्टेशन पेपर में SEBI ने इंडेक्स ऑप्शंस के लिए कुछ लिमिट निर्धारित करने का सुझाव दिया था, जिसमें शामिल हैं:

इंट्राडे नेट लिमिट: ₹1,000 करोड़

इंट्राडे ग्रॉस लिमिट: ₹2,500 करोड़

एंड ऑफ डे (EoD) नेट लिमिट: ₹500 करोड़

EoD ग्रॉस लिमिट: ₹1,500 करोड़

हालांकि, मार्केट में सक्रिय हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स (HFT) और विदेशी संस्थागत निवेशक (FPIs) इस लिमिट को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, जो ₹5,000 करोड़ से लेकर ₹15,000 करोड़ तक है। इनका मानना है कि लिमिट कम होने से वित्तीय पेनल्टी का खतरा बढ़ेगा। वहीं SEBI को चिंता है कि कुछ संस्थाएं डेल्टा रिस्क अधिक होने के बावजूद अपनी नेट पोजीशन जीरो दिखाती हैं, जिससे मार्केट में जोखिम बढ़ता है।

2. एक्सपायरी डे फिक्स करना

सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि किसी भी एक्सचेंज पर सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी सिर्फ मंगलवार या गुरुवार को ही होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रत्येक एक्सचेंज को केवल एक दिन अपने बेंचमार्क इंडेक्स ऑप्शंस की एक्सपायरी करने की अनुमति दी जाएगी।

सेबी का तर्क है कि इससे ट्रेडिंग में क्लस्टर रिस्क (एक साथ रिस्क का बढ़ना) कम होगा और ट्रेडिंग एक्टिविटी में बेहतर स्पेसिंग आएगी। हालांकि कुछ बाजार विशेषज्ञ और एक्सचेंज चाहते हैं कि एक्सपायरी सप्ताह में तीन दिन हो, और एक्सपायरी के दिन तय करने का अधिकार सेबी के बजाय एक्सचेंजों को दिया जाए।

क्या होगा आगे?

यदि सेबी की एडवाइजरी कमेटी इन प्रस्तावों पर सहमत होती है, तो नियामक इन बदलावों को जल्द ही लागू करने के लिए अंतिम सर्कुलर जारी कर सकता है। इसके अलावा SEBI अप्रैल 2025 के ओपन इंटरेस्ट डेटा का विश्लेषण भी कर रहा है, जिससे अंतिम फैसले को आधार दिया जा सके।

कुल मिलाकर, इन प्रस्तावित नियमों का प्रभाव हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स, विदेशी निवेशकों और एक्सचेंज की रणनीतियों पर महत्वपूर्ण होगा। मार्केट में स्थिरता और जोखिम प्रबंधन की दृष्टि से ये कदम बेहद अहम माने जा रहे हैं।


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