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Apple ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए भारत से लगभग 600 टन iPhones एयरलिफ्ट कर अमेरिका भेजे हैं। इस कदम का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सरकार द्वारा चीन से आयात पर लगाए गए भारी टैरिफ से बचना था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने अब तक छह कार्गो प्लेन भेजे हैं, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 100 टन थी।

1.5 मिलियन iPhones की शिपमेंट – कीमतों में वृद्धि से सुरक्षा

इन प्लेनों के माध्यम से लगभग 15 लाख iPhones अमेरिका भेजे गए। यह कदम उस समय उठाया गया जब चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर टैरिफ दर 125% तक पहुंच गई, जो पहले केवल 54% थी। वहीं भारत से आयात होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर केवल 26% का टैरिफ लागू है, और वह भी फिलहाल 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। इससे Apple को अमेरिका में अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने से बचने का अवसर मिला।

भारत – Apple का नया निर्माण केंद्र

Apple ने चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए भारत में निर्माण गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा दिया है। खासकर तमिलनाडु के चेन्नई स्थित Foxconn फैक्ट्री में उत्पादन में काफी इजाफा किया गया है। इस प्लांट में अब रविवार को भी काम चल रहा है, जबकि पहले यह अवकाश का दिन होता था।

ग्रीन कॉरिडोर से बढ़ी कस्टम प्रक्रिया की रफ्तार

Apple ने भारतीय अधिकारियों से समन्वय कर चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस का समय 30 घंटे से घटाकर केवल 6 घंटे करवा दिया है। इस प्रक्रिया को ‘ग्रीन कॉरिडोर’ नाम दिया गया है। ऐसा ही एक मॉडल पहले चीन में भी अपनाया गया था, जिससे तेजी से शिपमेंट संभव हो सके।

iPhone की कीमतें बढ़ने से बचीं अमेरिकी ग्राहक

यदि Apple ने यह निर्णय नहीं लिया होता, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं को iPhone 16 Pro Max के लिए लगभग 2,300 डॉलर (करीब 1.91 लाख रुपये) खर्च करने पड़ते। जबकि इसकी वास्तविक कीमत लगभग 1,599 डॉलर (करीब 1.32 लाख रुपये) है। भारत से शिपमेंट कर Apple ने इस कीमत वृद्धि को टाल दिया।

शिपमेंट वैल्यू में जबरदस्त वृद्धि

जनवरी और फरवरी 2025 में Foxconn इंडिया से अमेरिका भेजे गए iPhones की कुल वैल्यू क्रमश: 770 मिलियन डॉलर और 643 मिलियन डॉलर रही। इससे पहले यह आंकड़ा केवल 110 मिलियन डॉलर से 331 मिलियन डॉलर के बीच होता था। यह बदलाव दर्शाता है कि Apple भारत को एक रणनीतिक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में देख रहा है।

सरकार का सहयोग और आसान प्रक्रियाएं

भारत सरकार ने Apple को पूरा सहयोग दिया, खासकर कस्टम और एयरपोर्ट क्लियरेंस प्रक्रियाओं को सरल और तेज बनाने में। इससे कंपनी को अपने उत्पाद अमेरिका में तेजी से पहुंचाने में मदद मिली है। यह सहयोग भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के नक्शे पर एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित कर रहा है।


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