
Central govt employees to get 3 DA installments which was stopped during pandemic : केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारी और पेंशनभोगी लंबे समय से अपने रोके गए महंगाई भत्ते (DA) के बकाया की मांग कर रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स (Confederation of Central Government Employees & Workers) ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की लंबित मांगों को लेकर आवाज उठाई है। परिसंघ के हालिया सर्कुलर के मुताबिक, सरकार को जनवरी 2020 से जून 2021 तक रोके गए डीए बकाया का भुगतान करना चाहिए।
डीए बकाया भुगतान को लेकर सरकार से क्या मांग की गई है?
7 मार्च 2025 को जारी सर्कुलर में परिसंघ ने सरकार से अपील की कि वह कर्मचारियों की लंबित मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे। परिसंघ का कहना है कि सरकार की निष्क्रियता के चलते कर्मचारियों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है।
8 फरवरी को हुई परिसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कर्मचारियों को आंदोलन के लिए तैयार करने के उद्देश्य से 10 और 11 मार्च को देशभर में गेट मीटिंग और आम सभा आयोजित की जाएंगी। इसका मकसद कर्मचारियों में जागरूकता बढ़ाना और सरकार पर दबाव बनाना है।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
कन्फेडरेशन के चार्टर ऑफ डिमांड में कई महत्वपूर्ण मांगें शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की नियुक्ति
परिसंघ चाहता है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द 8वें वेतन आयोग का गठन करे और इसके चेयरमैन सहित अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाए।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली
परिसंघ की दूसरी बड़ी मांग है कि नई पेंशन योजना (NPS) को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को दोबारा लागू किया जाए।
कोविड-19 के दौरान रोके गए डीए का भुगतान
जनवरी 2020 से जून 2021 तक के बीच डीए की तीन किस्तें रोकी गई थीं। परिसंघ की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द इन बकाया राशियों का भुगतान करे।
पेंशन की बहाली
कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों की पेंशन से काटी गई राशि को 12 वर्षों में बहाल करने की मांग की जा रही है, जबकि अभी यह अवधि 15 वर्षों की है।
अनुकंपा नियुक्तियों की सीमा हटाना
अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरियों की सीमा 5% है, जिसे हटाने की मांग की गई है ताकि सभी पात्र उम्मीदवारों को नौकरी मिल सके।
रिक्त पदों की तत्काल भर्ती
सभी सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए और सरकारी नौकरियों में आउटसोर्सिंग एवं निजीकरण को बंद किया जाए।
कर्मचारी संगठनों को लोकतांत्रिक अधिकार देना
परिसंघ ने सरकार से मांग की है कि कर्मचारी संगठनों को बिना किसी दबाव के काम करने की स्वतंत्रता दी जाए।
डीए एरियर्स का मुद्दा क्या है?
सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (DA) हर साल दो बार – जनवरी और जुलाई में बढ़ाया जाता है। लेकिन कोविड महामारी के दौरान, केंद्र सरकार ने 18 महीनों (जनवरी 2020 से जून 2021) के लिए डीए पर रोक लगा दी थी। इस अवधि के दौरान कर्मचारियों को तीन डीए किश्तें मिलनी थीं, लेकिन अब तक इसका भुगतान नहीं किया गया है।
फेडरेशन का कहना है कि यह डीए कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का हक है, और सरकार को इसे जल्द से जल्द जारी करना चाहिए।
क्या सरकार डीए बकाया का भुगतान करेगी?
अब सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार कर्मचारियों की इस मांग को मानने वाली है?
सरकार पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुकी है कि वह डीए का बकाया भुगतान करने के पक्ष में नहीं है। सरकार का कहना है कि यह वित्तीय रूप से संभव नहीं है क्योंकि 2020-21 का वित्तीय वर्ष पहले से ही महामारी के कारण भारी आर्थिक दबाव में था।
मोदी सरकार का कहना है कि "डीए/डीआर का बकाया, जो मुख्य रूप से 2020-21 के चुनौतीपूर्ण वित्तीय वर्ष से संबंधित है, कोविड महामारी के दौरान किए गए कल्याणकारी कार्यों और वित्तीय अनिश्चितताओं के कारण संभव नहीं है।"
आगे की रणनीति क्या होगी?
परिसंघ ने अपने हालिया सर्कुलर में कहा कि कर्मचारी अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे। 10 और 11 मार्च को होने वाली गेट मीटिंग्स के जरिए कर्मचारियों को आंदोलन के लिए तैयार किया जाएगा।
अब देखना यह है कि सरकार इस मांग पर विचार करती है या नहीं। कर्मचारी संगठनों की ओर से दबाव लगातार बढ़ रहा है, और यदि सरकार इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं देती है, तो आगे बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है।